अपने व्यवसाय में स्मार्टफोन का इस्तेमाल कैसे करना है, ये चमेली साहू से सीखिए। बलौदा बाजार के सकरी गांव में रहने वाली चमेली मितानीन हैं और घर पर सिलाई-कढ़ाई का काम भी करती हैं। जब से स्काई योजना का मोबाइल इनके हाथ में आया है, वे अपने दोनों ही व्यवसाय के साथ न्याय कर पा रही हैं। यू-ट्यूब के जरिए नई-नई डिजाइनें निकालना और वाट्सएप से गांव की महिलाओं को जोड़कर छोटी-मोटी बीमारी पर परामर्श देना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
संयुक्त परिवार में रहने वाली चमेली के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी नम्रता सातवीं कक्षा में पढ़ती हैं और बेटा नार्यन 6वीं का छात्र है। मां यू-ट्यूब पर लहंगा, ब्लाउज, सलवार कमीज के डिजाइन तलाशती है तो बच्चे घर पर ही स्कूल के प्रोजेक्ट कर पा रहे हैं। पहले इन्हीं प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए स्टेशनरी में पैसे खर्च करने पड़ते थे। ढूंढने में समय भी लगता था। अब समय और पैसे दोनों की बचत हो रही है। सबसे बड़ी बात ये कि चमेली को अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिल रही है। उनका कहना है कि नई डिजाइन सीखने से भविष्य में उनकी आय भी बढ़ेगी।
सबसे अच्छा ये हुआ कि मितानीन के काम में उन्हें मदद मिलने लगी। अब छोटी-छोटी समस्याओं के लिए उन्हें लोगों के घर तक नहीं भागना पड़ता या महिलाओं को उनके घर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्होंने गांव की महिलाओं का एक ग्रुप बना लिया है, जिसके जरिए वे समस्याओं को जानकर परामर्श भी देती हैं। अब गांव की महिलाओं को भी किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती। उनका कहना है कि स्मार्टफोन के कारण वे अपने दोनों व्यवसाय सुचारू रूप से चला पा रही हैं।
इस तरह देखें तो स्मार्टफोन वित्तीय साक्षरता और समावेशन में सुधार में भी मदद करते हैं। देखें कि मोबाइल के जरिए विदेशों में इसके लिए कैसे प्रयोग हो रहे हैं और क्या नया किया जा रहा है। एम-पीईएसए 2007 के दौरान केन्या में एक मोबाइल फोन आधारित मनी ट्रांसफर सेवा लांच की गई है। केन्या मोबाइल मनी सिस्टम तक पहुंच एम-पीईएसए प्रति व्यक्ति खपत के स्तर में वृद्धि हुई और एक लाख 94,000 परिवारों या केन्या की 2% आबादी को गरीबी से बाहर लाया गया।
इसलिए मोबाइल-मनी ने टाइम मैनेजमेंट की दक्षता में वृद्धि की है, जबकि श्रम का कुशल आवंटन भी सुनिश्चित किया। इसी का परिणाम है कि केन्या जैसे देश की गरीबी में सार्थक कमी आई है। अगर भारत में भी अधिक महिलाओं स्मार्टफोन दिया जाता है तो संभव है कि ऐसी क्रांति हमें भारत में भी देखने को मिले। छत्तीसगढ़ में इसकी शुरुआत हो चुकी है। सकरी गांव की चमेली साहू सहित बलौदा बाजार के विभिन्न गांवों की महिलाओं को मिले स्मार्टफोन और इसके इस्तेमाल से भविष्य का अाभास होने लगा है।