अच्छा माहौल और अच्छी शिक्षा मिले तो सोच बदल जाती है। उद्देश्य बदल जाता है। ठीक ऐसा ही हुआ कवर्धा के एक छोटे से गांव घोघरा खुर्द में रहने वाले छात्र आशाराम धुर्वे के साथ। जो फिलहाल कवर्धा के बैगा आदिवासियों के लिए बनाए गए हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है। आशाराम ने बताया कि पहली बार जब यहां आया तो घर की याद आई। रहने का मन ही नहीं करता था। धीरे-धीरे मन रम गया। अब गांव जाने की इच्छा नहीं होती। वह कला विषय लेकर 11वीं की पढ़ाई कर रहा है और आईपीएस बनकर देश की सेवा करना चाहता है।
इससे पहले आशाराम अपने माता-पिता के साथ गांव में ही रहकर पढ़ाई कर रहा था। पिता अमर सिंह खेती किसानी करते। मां रहमत बाई घर में चूल्हा-चौका करती। बड़े भाई की शादी हो गई है तो वह अपनी गृहस्थी की जिम्मेदारियों निभा रहा। एक भाई चरवाहे का काम करता है। गांव भर के मवेशी जंगल लेकर जाता है और शाम तक लौटता है। कुल मिलाकर इस परिवार की जिंदगी भी आम बैगाओं की तरह की कट रही है। कल तक शिक्षा को लेकर भी इनमें किसी तरह की रुचि नहीं दिखाई देती थी, लेकिन आज वे जागरूक हो गए हैं।
तभी तो कवर्धा में खुले हॉस्टल के बारे में जब इस परिवार को पता चला तो पिता अमर सिंह ने बेटे को पढ़ाने की ठान ली। आशाराम को कवर्धा लेकर आए और हॉस्टल में दाखिला दिलाया। पहली बार गांव छोड़कर बाहर आया आशाराम कुछ अनमना था, लेकिन परिवार के लोगों के साथ शिक्षकों व प्रशासन के अधिकारियों ने भी उसे समझाइश दी। इसलिए वह रुक गया। शुरु के 10-12 दिन उसे अजीब सा लगा। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। बार-बार घर जाने की इच्छा होती थी। जैसे-जैसे हॉस्टल में दोस्त बने, उसका मन भी रम गया।
अब वह भी अच्छे नंबरों से पास होकर अपना भविष्य संवारना चाह रहा है। उसका कहना है कि हॉस्टल की सुविधाएं अच्छी है। सरकार हमारे लिए इतना कुछ कर रही है। मैं कला विषय के साथ 11वीं की पढ़ाई कर रहा हूं। शिक्षकों ने बताया कि अगर वह अच्छे से पढ़ाई करेगा तो यूपीएससी एग्जाम पास कर सिविल सर्विसेज में जा सकता है। इसके बाद आशाराम ने आईपीएस बनने की ठान ली। अब वह इसी को लक्ष्य बनाकर पढ़ाई कर रहा है। आशाराम की तरह कितने ही बैगा आदिवासी बच्चे हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
सरकार की इस पहल से बैगा आदिवासियों में खुशी है। आशाराम की तरह हॉस्टल में रहने वाले बच्चों का परिवार उनके अच्छे भविष्य के सपने देख रहा है। फ्री कोचिंग से रुझान बढ़ा है। अफसरों का कहना है कि शिक्षा से ही बैगा आदिवासियों के स्तर में सुधार हो सकता है। अच्छी शिक्षा से आने वाली पीढ़ियों में अच्छी सोच विकसित होगी।