शिक्षक बनकर समाज की बुराईयां दूर करना चाहता है बैगा सजनू, बड़ी मौसी के घर रहकर कर रहा था पढ़ाई, अब हॉस्टल में रहकर संवार रहा भविष्य

कवर्धा नेवराटोला का रहने वाला है छात्र सजनू बैगा। मां की अचानक मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी की तो बड़ी मौसी उसे छेरकीकछार ले आई। अपने पास रखकर पढ़ाने लगी। शिक्षक मोतीराम पाटिल की प्रेरणा से वह बैगा जनजाति के लिए बनाए गए हॉस्टल तक पहुंचा। अब वहीं रहकर पढ़ाई कर रहा है। चूंकि एक शिक्षक की वजह से उसके जीवन को नई दिशा मिली, इसलिए वह बड़ा होकर टीचर बनना चाह रहा है ताकि समाज के दूसरे लोगों का भी भविष्य संवार सके। मां के गुजरते ही पिता ने दूसरी शादी कर ली। सजनू को यह बात रास नहीं आई। ऊपर से सौतेली मां के दुर्व्यवहार से वह परेशान हो गया। बात-बात पर झिड़की देना। उलाहना देना। इसी के चलते उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। छेरकीकछार में रहने वाली उसकी बड़ी मौसी ये ताड़ गई। उसने सजनू को अपने संग लाकर यहीं पढ़ाने का मन बनाया। एक दिन उसे लेकर आई और गांव के ही स्कूल में उसे भर्ती करा दिया। सजनू की पढ़ाई में रुचि देख स्कूल के शिक्षक काफी प्रभावित हुए। शिक्षक मोतीराम पाटिल ने उसे सरकारी योजना के बारे में बताया। कहा कि कवर्धा में एक हॉस्टल संचालित हो रहा है, जहां रहकर वह अच्छी पढ़ाई कर सकता है। शिक्षक पाटिल ने सजनू की बड़ी मौसी से इसकी चर्चा की। समझाया कि सजनू होनहार छात्र है। उसे अच्छी शिक्षा देनी है। पाटिल ने उनकी आर्थिक स्थिति और पढ़ाई के खर्च को लेकर समझाइश दी और बताया कि हॉस्टल में रहकर वह दूसरे बच्चों के साथ आगे बढ़ेगा। सरकार इसका खर्च उठाएगी। इससे उसका भविष्य तो सुधरेगा ही आने वाले समय में वह परिवार की भी मदद करेगा। पाटिल की बातें सुनने के बाद सजनू की मौसी मान गई और उसे बैगा जनजाति के लिए शुरू किए गए हॉस्टल में दाखिला दिला दिया। अब वह मन लगाकर पढा़ई कर रहा है। आठ-दस दिन में एक बार परिवार उससे मिलने आता है।

क्षेत्र में बैगाजनजाति के उत्थान के लिए सरकार कई योजनाएं लेकर आई है। शिक्षा की सुविधा उन्हीं में से एक है। बैगा अादिवासियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उनके बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकार बेहतर काम कर रही है। बैगा आदिवासियों के लिए खोले गए हॉस्टल में उनकी पढ़ाई के साथ खानपान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने भविष्य को लेकर प्लानिंग कर रहे हैं। खुद पढ़कर अपने भाई-बहनों को पढ़ाने की बातें कर रहे हैं। निश्चित रूप से आने वाले समय में बैगा आदिवासियों को इससे लाभ मिलेगा।

कवर्धा जिले के बोड़ला और पंडरिया ब्लॉक में बैगा आदिवासियों के हजारों परिवार बसते हैं। शिक्षा से जुड़ने के बाद शहर से जुड़े गांवों में बदलाव दिखने लगा है। सरकार ने इस संरक्षित जनजाति के विकास के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने का मन बनाया है। दो माह पहले जिले के मन्नाबेदी निवासी भरतलाल का चयन जेईई में हुआ और वह दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खुद सुधा देवी ट्रस्ट की तरफ से उसकी फीस जमा कराई। इस तरह बैगा आदिवासियों की हर संभव मदद का प्रयास किया जा रहा है।

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