बालोद के बेलमांग गांव में स्थित प्राइमरी हेल्थ सेंटर में 25 सितंबर को 26 वर्षीय कुमेश्वरी लेंडया ने बेटे को जन्म दिया, लेकिन डिलीवरी के दौरान दिक्कत हुई और नवजात को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वहां के डॉक्टरों ने कहा कि गर्भ में गंदा पानी पीने से ऐसा हुआ है। कुमेश्वरी के पति परमेश्वर को कुछ सूच ही नहीं रहा था। इतने में प्राइमरी सेंटर के डॉक्टरों ने उन्हें बालोद के मातृ-शिशु अस्पताल जाने की सलाह दी और रेफर किया।
परमेश्वर ने पल भर की भी देरी नहीं की और पत्नी कुमेश्वरी और नवजात को लेकर फौरन बालोद के लिए रवाना हुआ। वहां मातृ-शिशु अस्पताल में पहुंचते ही बच्चे को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया। बताया कि गर्भ में ही गंदा पानी पीने से फेफड़े में इन्फेक्शन हो गया है। बच्चे को फीड्स भी आ रहे हैं। स्थिति गंभीर है। साथ में ये भी कहा कि पूरी टीम उसके इलाज में लगी हुई है। इधर परमेश्वर का परिवार भी भगवान से प्रार्थना करने लगा।
दरअसल, परमेश्वर और कुमेश्वरी की एक तीन साल की बेटी भी है खुशी। उसे पूरा परिवार बहुत प्यार करता है। परमेश्वर का एक भाई फौजी है और दूसरा शिक्षक। घर में काफी अच्छा माहौल है। कुमेश्वरी गर्भवती हुई तो दूसरी संतान के आने की खबर मात्र ने उन्हें प्रफुल्लित कर दिया था। फिर शिशु के जन्म लेते ही हुई परेशानी का पता चला तो सभी परेशान हो गए। भाईयों ने फोन कर हाल चाल पूछा। रिश्तेदारों के भी फोन आने लगे, लेकिन इलाज तो डॉक्टरों को ही करना था। उन्होंने कोई कोर कसर बाकि नहीं रखी थी।
आखिरकार एसएनसीयू से राहत भरी खबर मिली। स्टाफ ने आकर बताया कि बच्चा खतरे से बाहर है। डॉक्टरों ने इंजेक्शन दिया है। दवाइयां भी दे रहे हैं। उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन पहुंच रहा है। वह हलचल भी करने लगा है। यानी बच्चा पूरी तरह नार्मल है। फिर कुमेश्वरी को भीतर ले जाया गया ताकि बच्चे को मां का दूध मिल सके। एक-दो घंटे के बाद खुद परमेश्वर ने भीतर जाकर बेटे को नजर भर देखा। फिर बाहर आने के बाद पूरे परिवार को खुशखबरी दी।
परमेश्वर का फोन आने के बाद परिवार में फिर से खुशी का माहौल बना। पटाखे फूटे। मिठाइयां बांटी गई। इस तरह मातृ-शिशु अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बार फिर किसी परिवार की खुशियां लौटाई। कुमेश्वरी की तरह ऐसी कई माताओं को इस अस्पताल ने राहत दी है। अस्पताल में एसएनसीयू खुलने के बाद इस तरह के 125 मामले निपटाए जा चुके हैं। यह मातृ-शिशु अस्पताल बालोद मुख्य जिला चिकित्सालय के बाजू में ही है। सौ बिस्तर वाले इस अस्पताल की खासियत है यहां का एसएनसीयू। जहां के डॉक्टर गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज करने में सक्षम हैं।
ग्रामीणों के लिए तो यह यूनिट वरदान है। परमेश्वर को ही ले लीजिए। ढाई एकड़ जमीन है, जिसमें खेती कर वह अपना और अपने परिवार का पेट पालता है। अब प्राइवेट अस्पतालों में ऐसी बीमारी का इलाज करवाने पर काफी खर्च आता है, रायपुर आने-जाने का खर्च अलग। जबकि जिले के इस मातृ-शिशु अस्पताल में पूरा उपचार फ्री में होता है। यहां स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और शिशु रोग के स्पेशलिस्ट भी। बालोद जिले के आसपास के गांवों में मौजूद प्राइमरी हेल्थ सेंटर के डॉक्टर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के उपचार के लिए मरीजों को यहीं भेजते हैं।