देश में किसानों की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है। कई क्षेत्रों में पूरी खेती सिर्फ बारिश पर ही निर्भर होती है। अगर बारिश में कुछ गिरावट आ जाए तो पूरी खेती चौपट हो जाती है। जिन इलाकों में बिजली पहुंच चुकी है वहां सिंचाई के लिए ट्यूबवेल की सुविधा हो जाती है, वहीं कई दुर्गम इलाके ऐसे भी हैं जहां बिजली पहुंचाना आसान काम नहीं होता। ऐसे में वहां सोलर पंप द्वारा खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है। छत्तीसगढ़ में सोलर पंप द्वारा खेतों की सिंचाई की सुविधा न केवल अच्छे से फल फूल रही है, बल्कि कई किसान इससे लाभान्वित हो रहे हैं। सोलर पंप लगवाने के लिए जिस योजना को जमीन पर लागू किया जा रहा है उसका नाम है, सौर सुजला योजना।
सोलर पंप लगवाने के मामले में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का नाम सबसे ऊपर है। किसानों की आय को बढ़ाने में क्रेडा द्वारा संचालित सौर सुजला योजना एक सफल और कारगर रूप से काम कर रही है। यह योजना किसानों के लिये वरदान की तरह है। गरियाबंद जिले में सौर सुजला योजना के तहत अभी तक कुल 2456 किसानों को सोलर पंप वितरित किये जा चुके हैं और सभी सोलर पंप कार्यशील अवस्था में है। गरियाबंद जिले में सौर सुजला योजना के प्रथम चरण में 700 सोलर पंप स्थापना का लक्ष्य रखा गया था, पर लक्ष्य से अधिक 1019 सोलर पंपों की स्थापना जिले में की गयी। इस तरह से गरियाबंद जिला प्रदेश का नंबर वन जिला बन गया। जिले में सौर सुजला योजना के द्वितीय चरण में 1437 पंपों की स्थापना की जा चुकी है।
सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहिन एवं दूरस्थ ग्रामों के किसानों को कृषि कार्य हेतु 95 प्रतिशत से 98 प्रतिशत के अनुदान में 3।5 लाख से 4।5 लाख रूपये लागत मूल्य के सोलर पंपों को मात्र 10,000 से 25000 रुपये में प्रदान किया जा रहा है। पहले किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं होने पर वे पूर्ण रूप से फसलों की सिंचाई के लिये वर्षा पर निर्भर रहते थे। बारिश नहीं होने या अल्प वर्षा की स्थिति में किसानों की फसल बर्बाद हो जाती थी। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता था, किन्तु वर्तमान में सौर सुजला योजना ने किसानों को काफी राहत दी है। इस योजना में स्थापित सोलर पंप के कारण अब किसानों को बारिश पर निर्भर नहीं होना पडता है तथा पर्याप्त मात्रा में फसल की पैदावार होती है। सौर सुजला योजना के तहत लाभान्वित किसानों की आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। अपने खेतों में सोलर पंप स्थापित कराने वाले सभी किसान सौर सुजला योजना की प्रसंशा कर रहे हैं।
सौर सुजला के तहत मिले पंप का ही परिणाम है कि गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के गांव कुम्हड़ईकला के किसान शेषमल गिरिराज और तुलसीदास पात्रा की आमदनी 5 हजार प्रतिमाह से आज 20 हजार रुपए हो गई है। शेषमल और तुलसीदास पहले सिंचाई साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण कृषि जमीन होते हुये भी फसल नहीं ले पा रहे थे, पर सौर सुजला ने उनकी सिंचाई की समस्या खत्म कर दी। वर्तमान में दोनों किसानों के यहां सौर सुजला योजना के तहत सोलर पंप लग चुका है और अब वे सोलर पंप के पानी का उपयोग कर सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। शेषमल गिरीराज और तुलसीदास ने बताया कि जब उनकी जमीन में सोलर पंप नहीं लगा था, तो वे केवल अपने घर के लिए ही थोड़ी मात्रा में सब्जी-भाजी उगाते थे। अब दोनों किसान पंप लगने के बाद करीब तीन-तीन एकड़ जमीन पर बैंगन, भिंडी और उड़द की फसल ले रहे हैं। शेषमल ने बताया कि सोलर पंप से सिंचाई की बदौलत आज उनकी प्रतिमाह आमदनी कई गुना बढ़ गई है।
ऐसे ही कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर विधानसभा स्थित ग्राम डुमरिया के किसान सहेबा राम ने अपनी मेहनत और सौर सुजला योजना के बल पर बंजर जमीन को हरा भरा कर दिया। सहेबा राम आज अपने साढ़े तीन एकड़ खेत में बैगन, टमाटर, मटर सहित कई मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं। सब्जियों की खेती से वे आज लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक देश के बाकी किसानों की तरह वे भी हताश और निराश थे। बारिश के मौसम में उनकी निगाहें भी आसमान की ओर टकटकी लगाए रहती थी कि कब बारिश होगी। उनके पास साढ़े तीन एकड़ जमीन थी जो कि बंजर थी। उस बंजर जमीन में थोड़ा बहुत खेती वो कर पाते थे लेकिन उसमें परिवार का भरण पोषण भी नहीं हो पाता था। इसी दौरान सहेबा राम को किसी ने सरकार की सौर उजला योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सौर सुजला योजना के तहत सोलर पंप हेतु आवेदन किया। जिस पर क्रेडा विभाग द्वारा मात्र पन्द्रह हजार रूपए में उसके खेत में तीन एचपी का सोलर सिंचाई पंप स्थापित कर दिया गया। सोलर पंप स्थापित होने से अपने साढे तीन एकड़ बंजर भूमि में सिंचाई कर बैंगन, टमाटर, मटर आदि की खेती कर वह काफी मुनाफा कमा रहे हैं।