एक बार बारिश में जब कच्चा मकान बुरी तरह टूटा तो जैसे हिम्मत टूट गई। जैसे-तैसे पैसों की जुगाड़ से फिर उसे खड़ा किया, लेकिन मनमाफिक मकान नहीं बना पाया। आज प्रधानमंत्री आवास योजना की बदौलत मेरा अपना घर बनकर तैयार है। यह कहना है बकरी पालन कर अपना और परिवार का पेट पालने वाले दशरथ यादव का। धमतरी मगरलोड के भेंडरी गांव में रहने वाले दशरथ को विश्वास है कि बाकि की जिंदगी अब सुकून से बीतेगी। रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा भी वे भविष्य की प्लानिंग कर सकेंगे।
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार भी प्रतिबद्ध है। इसी का नतीजा है कि दशरथ यादव जैसे व्यक्ति का सपना पूरा हो पा रहा। मगरलोड मेघा रोड भेंडरी के मैहापारा में 60 साल के दशरथ का छोटा सा कच्चा मकान था। दशरथ बोल नहीं पाते, लेकिन इशारों से सबकुछ जाहिर कर सकते हैं। वे अपने भाई के साथ रहकर उनका सहयोग करते हैं। बकरी पालन के व्यवसाय से जो पूंजी बनाई, उससे मकान बनाने का सपना देखा।
हालांकि जो रकम जमा थी, उससे मकान बनना संभव नहीं था। तभी प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में पता चला और सरपंच-सचिव से मिलकर इसके लिए आवदेन किए। स्वीकृति मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आज कुल 1000 वर्ग फीट में दशरथ का मकान बनकर तैयार है, जिसे बनाने में ढाई लाख रुपए खर्च हुए। इसमें योजना के तहत मिली राशि के अलावा दशरथ ने अपनी जमा पूंजी भी लगाई। आज वे बेहद खुश हैं। वे कहते हैं कि बरसों पुराना सपना साकार हो गया।
इस सपने को साकार करने में एक सबसे बड़ी अड़चन आई राजमिस्त्री की। मटेरियल तो समय पर आ गया। मजदूर भी मिल गए, लेकिन राज मिस्त्री नहीं होने से मकान की जोड़ाई भी नहीं हो पा रही थी। इस कारण मकान बनने में थोड़ा वक्त तो लगा, लेकिन इसका कोई गिला नहीं। प्रधानमंत्री आवास योजना नहीं होती तो शायद मैं अपने मकान के बारे में सिर्फ सोचता ही रह जाता। सरपंच, सचिव, पंच आदि ने काफी मदद की और सरकारी योजना का लाभ दिलाया।
दशरथ बताते हैं कि एक बार बाढ़ में मकान टूटा तो काफी निराश हुआ था। आज पक्का मकान बनने के बाद लग रहा है कि जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है। आज पक्का और मजबूत मकान बनकर तैयार है। अब मैं सभी चीजों से बच सकता हूं। प्राकृतिक आपदा से भी सुरक्षित हूं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के शुक्रगुजार हैं कि उन्हें इस योजना का लाभ दिया गया। वे कहते हैं कि किसी गरीब के लिए उसका आशियाना ही सबकुछ होता है। रोज की मजदूरी करने के बाद जब वह अपने घर में सुकून की नींद लेता है, तभी दूसरे दिन ऊर्जा से भरपूर हाे जाता है।