पैतृक संपत्ति पर खेती कर औसत आय प्राप्त करने वाले भाटापारा निवासी तिरीथ पिता स्व. भगेलाराम देवांगन ने जब डेयरी का व्यवसाय अपनाया तो दिन दुगुनी, रात चौगुनी तरक्की की। इस व्यवसाय की आमदनी का प्रभाव ऐसा रहा कि उन्होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी कर प्राइवेट नौकरी करने वाले अपने बेटे गिरीश को भी इससे जोड़ लिया। फिर उन्नत वैज्ञानिक तरीके से डेयरी का काम करने लगे। आज उनके पास 45 गायें हैं और दूध बेचकर 60 हजार रुपए मुनाफा कमा रहे हैं।
खुद तिरीथ राम का कहना है कि वे पिछले 35 सालों से पारंपरिक खेती कर रहे थे। धान, चना, गेहूं और थोड़े हिस्से में सब्जी भी। हां घर पर देशी नस्ल की नौ गायें भी थीं, जिससे थोड़ा-बहुत दूध मिलता था। तब वार्षिक आय लगभग तीन लाख रुपए थी। मैंने अपने बेटे गिरीश देवांगन मैनेजमेंट का कोर्स कर प्राइवेट जॉब कर रहा था। उसे 2012 में वापस बुलाया और पशु पालन विभाग के मार्गदर्शन में उन्नत डेयरी का काम शुरू किया। तिरीथ राम को राज्य पोषित उद्यमिता के अंतर्गत साढ़े चार लाख रुपए का अनुदान स्वीकृत हुआ।
इससे पहले 2014 में गिरीश को कृषक कौशल विकास अंतर्गत गुजरात एवं राजस्थान में डेयरी का शैक्षणिक भ्रमण किया, जिससे उन्नत पशु पालन की समसामयिक जानकारी प्राप्त हुई, जिसका उपयोग कर उसने डेयरी का व्यवसाय निरंतर आगे बढ़ाया। इसके बाद 2016 के सितंबर से नवंबर तक मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण वीटीपी केंद्र, पशु चिकित्सालय भाटापारा में दिया गया। इस ट्रेनिंग के भी काफी फायदे मिले और डेयरी के काम में निपुणता आई। फिर विभाग से डेयरी उद्यमिता योजना के बारे में पता चला और तिरीथ राम ने इसका भी फायदा उठाया।
इस योजना के तहत मिले साढ़े चार लाख के अनुदान के तहत उन्होंने स्ववित्तीय तरीके से इसका लाभ लिया और उन्नत नस्ल की 15 दुधारु गायें खरीदीं। इससे दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। फिलहाल 350 लीटर दूध प्रतिदिन तथा लगभग 60 हजार रुपए प्रतिमाह शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है। इस तरह तिरीथ राम और उनके बेटे गिरीश की आर्थिक स्थिति पहले की तुलना में सुदृढ़ हुई है। पहले सालाना आय तीन लाख थी, जो बढ़कर लगभग आठ लाख रुपए हो गई है।
योजना का लाभ मिलने के बाद तिरीथ राम चॉफ कटर और दूध निकालने के लिए मिल्किंग मशीन का भी उपयोग कर रहे हैं। पहले जिस 7 हेक्टेयर जमीन पर केवल पारंपरिक खेती होती थी,आज वहां गायों के लिए चारा भी उगाया जा रहा है ताकि सालभर उन्हें हरा चारा ही मिल सके। तिरीथ राम कहते हैं कि आज उनका मुख्य व्यवसाय डेयरी और गौण व्यवसाय कृषि हो चुका है। हमारी सफलता में पशुधन विकास विभाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है एवं भविष्य में हम डेयरी व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। साथ ही डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी समय-समय पर व्यवहारिक एवं प्रायोगिक जानकारी प्रदान कर रहे हैं।