October 17, 2018

बारिश में छत से टपकता था पानी, योजना न होती तो कभी नहीं बना पाते पक्का मकान,धमतरी जिले के चर्रा कुरुद निवासी नीरकला को मिला प्रधानमंत्री आवास

धमतरी के कुरुद ब्लाक में सांसद आदर्श ग्राम है चर्रा। इस गांव में विकास के कई काम हुए। सरकार की अलग-अलग योजनाओं का लाभ मिला। इन्हीं में से एक है प्रधानमंत्री योजना, जिसके तहत गरीब परिवारों को छत मिल पाया और आज वे सुकुन की जिंदगी जी रहे हैं। इसी योजना के तहत पक्का मकान बनाने वाली एक हितग्राही हैं नीरकला निषाद। कहती हैं- योजना नहीं होती तो कभी नहीं बना पाते पक्का मकान।

दरअसल, रोजी-मजदूरी कर पेट पालने वाला ऐसा परिवार इतनी रकम जुटा ही नहीं पाता, जिससे पक्के मकान की नींव रखी जा सके। चर्रा निवासी नीरकला के साथ भी कुछ ऐसा ही था। बारिश में छत टपकता देख आंसू निकल आते। दीवारों की शीलन से मन सिहर उठता। तब मन में ख्याल आता था कि काश पक्का मकान बनवा लेते। यहीं सोचते हुए जैसे-तैसे जुगाड़ कर बरसात के चार महीने निकल जाते और सारी प्लानिंग धरी रह जाती। रोटी की चिंता सताती और फिर अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाते थे।

पति दिलीप निषाद के साथ मजदूरी करना और घर लौटकर चूल्हा-चौका व बर्तन। बस इसी में वक्त गुजर जाता। हां बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता जरूर होती। उनकी संतानों में एक लड़का और एक लड़की है। बारिश के दिनों में वे पढ़ाई नहीं कर पाते थे। छत से पानी टपकता था और सभी लोग बिस्तर, कपड़े और घर के बाकि सामान बचाने में जुट जाया करते थे। नीरकला और उसके पति सोचते कि क्या इनका भी जीवन इसी कच्चे मकान में निकल जाएगा। क्या बेटे-बेटी का ब्याह इसी मकान में करेंगे? जवाब में सिर्फ खामोशी छा जाती।

फिर आई प्रधानमंत्री आवास योजना। एक ऐसी योजना जिसने गरीबों के अपने घर के सपने को साकार किया। नीरकला को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने भी अपने पति दिलीप के साथ जाकर फार्म भरा। कुछ ही दिनों बाद इस योजना के तहत आवास स्वीकृत हो गया। इसकी जानकारी मिलते ही परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे राेज खाना खाते समय सिर्फ अपने नए मकान के बारे में चर्चा किया करते थे। वे कहते- अब उनके बच्चे भी पक्के मकान में रहेंगे।

कुछ दिन गुजरने के बाद घर बनाने के लिए उन्हें 48 हजार रुपए की पहली किस्त मिली। रुपए मिलते ही नीरकला और दिलीप दोनों मकान बनाने में जुट गए। मटेरियल खरीदा। मिस्त्री से बात की और खुद भी मजदूरी करने लगे। नींव खोदी, दीवार खड़ी किए। तभी 48 हजार की दूसरी किस्त भी मिल गई। इससे छत की ढलाई हुई। इसके बाद आखिरी किस्त के रूप में 24 हजार रुपए मिले और मकान का काम कंप्लीट हो गया। आज नीरकला औ दिली अपने बच्चों के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पाकर काफी खुश हैं।

नीरकला की तरह ही धमतरी जिले के ऐसे कितने ही परिवार हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ मिला। नीरकला कहती हैं कि शासन की इस महत्वपूर्ण योजना के कारण ही उन्हें पक्का मकान बनाने का अवसर मिला वरना उनकी जिंदगी तो कच्चे मकान में ही कट जाती। अब बारिश के दिनों में न छत टपकती है और न ही दीवारों में शीलन आती है। बच्चे भी सुरक्षित हैं और उनकी पढ़ाई भी बढ़िया चल रही है।


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