बिन पानी सब सून। पीने का पानी नहीं मिला तो हाहाकार मच जाएगा। सिंचाई के लिए पानी न मिला तो फसलें सूख जाएंगी। निस्तारी के लिए पानी जरूरी ही है। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग ने विभिन्न योजनाओं के तहत प्रदेश में जल क्रांति लाने का प्रयास किया। खेतों को पानी देने के लिए प्रदेश में 651 एनीकट और स्टापडेम का निर्माण कराया गया है। अभी भी 157 स्टापडेम निर्माणाधीन हैं।
जल संसाधन विभाग के क्रियाकलापों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2003 में जिसका बजट 493.90 करोड़ की तुलना में लगभग सात गुना तीन हजार 155 करोड़ तीन लाख का बजट 2017-18 में रखा गया। आपको बता दें कि फिलहाल राज्य की कुल सिंचाई क्षमता 20.59 लाख हेक्टेयर की है। चौदह साल पहले यह 14.53 लाख हेक्टेयर ही थी। यानी इसमें कुल 14प्रतिशत की वृद्धि हुई। स्टाप डेम ओर एनीकट के साथ-साथ 440 लघु सिंचाई योजनाओं पर काम हुआ।
सिंचाई के लिए राज्य में तीन वृहद परियोजना अंतर्गत महानदी परियोजना समूह, मिनी माता बांगी परियोजना, जोंक व्यपवर्तन योजना का निर्माण पूरा हो चुका है। इसी तरह 6 मध्यम परियोजनाएं कोसरटेडा जलाशय, खरखरा माहदीपाट, सुतिया पाट, कर्रानाला बैराज अपर जोंेक परियोजना और मांड व्यपवर्तन योजना का निर्माण भी पूरा हो चुका है। फिलहाल सोंदूर जलाशय परियोजना,अरपा भैंसाझार परियोजना, केलो परियोजना एवं राजीव समोदा निसदा व्यपवर्तन योजना निर्माणाधीन है। इसके अलावा तीन मध्यम और 418 लघु सिंचाई योजनाएं निर्माणाधीन हैं।
ऐसे ही उद्योगों को पर्याप्त जलापूर्ति के लिए भी परियोजनाएं बनाई गईं, जिसमें से कई पूरी हो चुकी हैं और कुछ पर काम चल रहा है। औद्योगिक बैराजों में से महानदी प्रस्तावित छह बैराज में से चार समोदा, बसंतपुर, मिरौनी एवं कलमा बैराज का निर्माण पूरा हो चुका है। शिवनारायण और साराडीह बैराज मार्च 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इन बैराजों से 21 उद्योगों को 852 मिलियन घन मीटर वार्षिक जल आवंटित है, जिससे शासन को हर साल 469 करोड़ की राजस्व प्राप्ति होगी तथा निस्तारी, भू-जल संवर्धन एवं तीन हजार 149 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती भी हो सकेगी।
प्रदेश में 35 नगरीय निकायों को पेयजल हेतु विभिन्न संरचनाओं से 188.60 मिलियन घन मीटर जल आवंटित है। इसके अतिरिक्त कई गांवों में निस्तारी तालाबों में भी नहरों के द्वारा प्रतिवर्ष पानी दिया जाता है। वर्ष 2017 में भी 2520 गांवों के 4557 तालाबों को निस्तार के लिए पानी दिया गया। विकासशील नया रायपुर शहरी क्षेत्र में वर्ष 2040 तक पेयजल सुविधा की दृष्टि से टीला तथा रावर के समीप महानदी पर दो एनीकट का निर्माण किया गया है। जल का समुचित उपयोग करने की दृष्टि से सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं पर भी काम हो रहे हैं।
इसी तरह राज्य शासन ने प्रदेश में सिंचाई क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2028 तक उपलब्ध सतही जल से 32 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता प्राप्त कर 100 प्रतिशत सिंचाई क्षमता का सृजन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य बनने के बाद पहली बार 2016-17 में एक लाख एक हजार 795 हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमता सृजित करने में हम सफल हो सके। यह राज्य के इतिहास में पहली बार हुआ। इस लक्ष्य की प्राप्ति में अभयान लक्ष्य भागीरथी में शामिल 70 परियोजनाओं को पूरा किया गया है।