July 5, 2018

3 लाख का सोलर पैनल सिर्फ 12 हजार में दे रही छत्तीसगढ़ सरकार, गांव में पहली बार हुई गेहूं की फसल

छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव के रहने वाले राजेश चक्रधारी (30) बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही रहते हैं। वह गांव में लोगों को प्राथमिक उपचार देते हैं। यही उनकी कमाई का एकमात्र साधन था। ऐसा नहीं है कि उनके पास खेत नहीं है। 12 एकड़ जमीन के मालिक राजेश सिंचाई की सुविधा न होने की वजह से कभी अपने खेतों में ढंग से खेती नहीं कर पाए। कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर तहसील में आने वाले गांव कनकपुर में सिर्फ बारिश के मौसम में खेती की जाती थी। बाकी के मौसम में सिंचाई की व्यवस्था न होने के कारण खेत परती पड़े रहते थे। लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार और क्रेडा द्वारा दिए जाने वाले सोलर पंपों की वजह से गांव में फिर से खेती की शुरुआत हो गई है।

क्रेडा (अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) घरों और खेतों में बिजली के लिए सोलर प्लांट लगाने की सब्सिडी देती है। ये प्लांट एक किलोवाट से लेकर पांच सौ किलोवाट क्षमता तक होते हैं। क्रेडा के मुताबिक लोगों की जरूरत को देखते हुए पांच सौ वाट तक की क्षमता के सोलर पावर पैनल उपलब्ध कराए जा सकते हैं। राजेश के खेतों के पास एक नाले से पानी बहता है, लेकिन उसे लिफ्ट करने का कोई इंतजाम नहीं था। वे बताते हैं कि अगर यहां ट्रांसफॉर्मर लगाया जाए तो भी 3 लाख का खर्च आता। उनके पास इतने पैसे थे भी नहीं।

इसलिए उन्होंने क्रेडा से सोलर प्लांट लेने के लिए आवेदन दिया और उनका नाम आ गया। उन्हें इसके लिए सिर्प 12,000 रुपये देने पड़े। वे बताते हैं कि 3 HP वाले पंप की बाजार में कीमत लगभग 3 लाख 90 हजार रुपए है। लेकिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से मिलने वाले सब्सिडी की वजह से किसानों को यह काफी कम दाम में उपलब्ध हो जाता है। वहीं जिन लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं होते उनके लिए सरकार लोन की सुविधा भी उपलब्ध करवाती है, ताकि आसानी से उन्हें सोलर प्लांट मिल सके।

सोलर सिस्टम लग जाने के बाद किसान बिजली का मोहताज नहीं रह जाता। उसके अलावा सोलर पैनल में मेटनेंस का खर्च न के बराबर होता है। हर 10 साल में एक बार बैटरी बदलनी होती है। जिसका खर्च करीब 20 हजार रुपये होता है। इसके इलावा सोलर पैनल को एक जगह से दूसरी जगह पर बड़ी आसानी से ले जाया जा सकता है। राजेश की पत्नी लक्ष्मी भी खेतों में उनका सहयोग करती हैं। लक्ष्मी ने एमए किया है फिर भी उन्हें खेती से लगाव है। हालांकि राजेश को खेती करते हुए अभी कम समय ही हुआ है, लेकिन वे पूरी उम्मीद से कहते हैं कि आने वाले समय में वे बाकी खाली पड़ी जमीन पर भी खेती करेंगे।

इस इलाके में पानी की समस्या होने की वजह से बहुत कम लोग ही खेती करते हैं। इसलिए जंगली जानवर खेतों में पहुंचकर फसल नष्ट कर देते हैं। इससे बचने के लिए राजेश ने स्वंय सहायता समूह से लोन लिया और खेतों के चारों तरफ बाड़ लगवाई। अपने खेतों में उन्होंने गेहूं और आलू की फसल लगाई है। लोग बताते हैं कि गांव में पहली बार गेहूं की फसल हुई है, नहीं तो इसके पहले सिर्फ धान की फसल ही होती थी और वो भी बारिश होने पर। राजेश के परिवार में उनके तीन और भाई हैं। जिनमें से एक भाई की शादी हो चुकी है वहीं छोटा भाई अविवाहित है। तीनों भाई मिलकर खेती करने की योजना बना रहे हैं।

राजेश बताते हैं कि उनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन खेती करने की प्रबल इच्छा थी। पैसों की समस्या की वजह से वे अपने खाली पड़े खेतों में फसल उगाने के सपने देखा करते थे। अब सरकार द्वारा मदद मिल जाने से उनके सपने साकार होने के काफी करीब हैं। राजेश को देखते हुए गांव के कई और लोग भी प्रेरित हुए और अब कुल चार सोलर पैनल लग गए हैं। राजेश कहते हैं कि यह सब छत्तीसगढ़ सरकार की बदौलत ही संभव हो पाया नहीं तो वे कभी अपने खेतों में फसल उगाने की कल्पना नहीं कर सकते थे।

और स्टोरीज़ पढ़ें
से...

इससे जुड़ी स्टोरीज़

No items found.
© 2021 YourStory Media Pvt. Ltd. - All Rights Reserved
In partnership with Dept. of Public Relations, Govt. of Chhattisgarh