शोध कहते हैं कि मोबाइल प्रौद्योगिकी महिलाओं को बेहतर अवसर प्रदान करके लिंग असमानताओं को कम करने में मदद कर सकती है। स्मार्टफोन एमओयूसी के माध्यम से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करके साक्षरता, शिक्षा और कौशल अंतर को कम करने में मदद कर सकते हैं। सकरी की पीलेश्वरी साहू की कहानी से इस शोध का प्रमाण मिलता है। वे हैं तो मितानीन, लेकिन स्मार्टफोन आने के बाद उन्होंने अपने हुनर को भी निखारा है। वे यू-ट्यूब के जरिए रंगोली और मेहंदी की नई डिजाइनें सीख रही हैं।
मितानीन होने के नाते कुपोषण के खिलाफ लड़ने में भी पीलेश्वरी की सक्रियत भूमिका रही है। आज स्मार्टफोन हाथ में आने के बाद उन्होंने गांव की महिलाओं को वाट्सएप ग्रुप के जरिए जोड़ लिया है। बच्चों के खानपान और उनके वजन के बारे में वाट्सएप कॉलिंग, चैटिंग आदि से जानकारी लेती हैं और परामर्श देती हैं। यानी मितानीन का वर्क भी स्मार्ट हो गया है। अब गांव की महिलाओं को बार-बार उनके घर तक नहीं आना पड़ता। इससे पीलेश्वरी अपने हुनर को निखारने के लिए समय दे पा रही हैं।
पीलेश्वरी के पति मालिक राम खेती-किसानी करते हैं। उनके पास सात एकड़ जमीन है। मोबाइल आने के बाद खाद-बीज की जानकारी और उन्नत खेती के बारे में भी जा रहे हैं। भविष्य में इसके इस्तेमाल की भी योजना है। उनके सास-ससुर साथ रहते हैं। बड़ी बेटी गामिनी नर्सिंग का कोर्स कर रही है। इससे जुड़े मटेरियल भी अब वह आसानी से डाउलोड कर पा रही है। छोटा बेटा कुणाल 10वीं में है और बेटी किरण 8वीं में। बच्चे अपना स्टडी मटेरियल खुद ही सर्च कर डाउनलोड करते हैं। इससे उनकी पढ़ाई आसान हो गई है। गामिनी का कहना है कि घर में स्मार्टफोन आने से नर्सिंग से जुड़े मटेरियल आसानी से मिल जाते हैं। पहले इसके लिए भटकना पड़ता था।
केवल यही नहीं पीलेश्वरी अपनी आमदनी बढ़ाने का जरिया भी इंटरनेट पर तलाश रही हैं। वे अलग-अलग व्यवसाय के बारे में जानकारी ले रही हैं ताकि आर्थिक रूप से सक्षम होने के लिए कुछ नया शुरू कर सके। सच ही तो है स्मार्टफोन के माध्यम से महिलाओं को आजीविका और नौकरी के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकते हैं। ऐसे कई प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप हैं जो ऐसे अवसरों से सम्बंधित जानकारी प्रदान करते हैं। छत्तीसगढ़ में एनआरएलएम का बिहान ऐप, छोटे महिला उद्यमियों के लिए हस्तशिल्प उत्पाद और कलाकृति की तस्वीरें अपलोड करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिसके बाद एनआरएलएम इन उत्पादों को बाजार में बेचने में मदद करता है।
छत्तीसगढ़ रोज़गार समाचार जैसे ऐप्स हैं जो राज्य में खुली सरकारी नौकरियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। अन्य निजी स्वामित्व वाले नौकरी प्लेटफ़ॉर्म हैं जहां उपयोगकर्ता के कौशल से मेल खाने वाली नौकरी तलाश की जा सकती है। उदहारण के तौर पर एक बढ़ाईगिरि के लिए विशिष्ट नौकरियों की तलाश कर सकता है। पीलेश्वरी का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संचार क्रांति योजना के जरिए हम लोगों की जरूरत का ख्याल रखा। हर हाथ में स्मार्टफोन देकर जैसे हर समस्या का समाधान दे दिया हो।
फाेन ने लोगों को काफी जागरूक बनाया है। मजदूरी करने वाले भी इसका उपयोग कर पा रहे हैं। यह फोन बच्चों की पढ़ाई में भी मददगार साबित हो रहा है। कुल मिलाकर स्काई योजना से गरीब परिवार में क्रांति आई है। वे इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीख रहे हैं और जो सीख चुके हैं, वे अपनी रोजी-रोटी के अन्य विकल्पों को भी खोज रहे हैं। शहर में मोबाइल फोन बांटने के बाद सरकार ने गांव में भी फोन दिए हैं और ग्रामीण इसका बेहतर इस्तेमाल कर पा रहे हैं।