भयानक होती है मौत। जानलेवा बीमारी से हो तो डर कई गुना बढ़ जाता है। खासतौर पर जब बीमारी हो ब्लड कैंसर। कवर्धा जिले के छोटे से गांव अमलीडीह से आए छात्र कमलेश्वर सिंह ठाकुर ने यह बचपन में देखा था। टीवी पर चल रही खबर में इस बीमारी के बारे में बताया जा रहा था। तब उसे पता चला कि यह बीमारी कितनी खतरनाक और जानलेवा है। सोचकर ही सिहर उठा। फिर मन ही मन सोच लिया कि बड़ा होकर डॉक्टर बनना है। आज वह अपनी मंजिल काे करीब से देख पा रहा है। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है और सफलता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त भी है।
कमलेश्वर खूब पढ़ना चाहता है। इसलिए नहीं कि वह पढ़कर एमबीबीएस डॉक्टर बने और लोगों का इलाज करे, बल्कि इसलिए कि वह एक्सपर्ट बने और ब्लड कैंसर पर रिसर्च कर सके। वह कहता है कि अगर रिसर्च सफल हुई तो वह दुनिया में देश का नाम करेगा। माता-पिता और अपने गांव का नाम रोशन करेगा। टीवी में देखने के बाद तो वह सिर्फ सोच पा रहा था, लेकिन कवर्धा के आवासीय कोचिंग सेंटर में आने के बाद वह अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा है।
नीट की पढ़ाई से उसका आत्मविश्वास बढ़ा है। वह खुद कह रहा है कि उसकी पढ़ाई अच्छी चल रही। वह पूरी कोशिश करेगा और अच्छे रैंक लाएगा ताकि देश के अच्छे मेडिकल कॉलेजों में उसका दाखिला हो सके। छोटा सा गांव है अमलीडीह। वहां रहने वाले एनआईआईटी या जेईई के बारे में नहीं जानते। माता-पिता भी इतने जानकार नहीं है। परिवार वालों को भी ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में पता नहीं। ऐसे में गाइड कौन करेगा। भला हो शासन-प्रशासन का जिसने हमारी सुध ली। आज परिवार भी खुश है। सप्ताह में दो-तीन बार घर में बात होती है तो मैं उन्हें अपनी पढ़ाई के बारे में बताता हूं।
कवर्धा के कचहरी पारा में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है, जहां आवासीय कोचिंग की व्यवस्था शासन-प्रशासन ने की है। यहां विभिन्न वर्गों के 100छात्र-छात्राएं रहकर पढ़ाई कर रही हैं। वार्डन लखनलाल वारते का कहना है कि यहां हरेक स्टूडेंट का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उनके खानपान से लेकर रहन-सहन तक सबकुछ मैनेज किया जा रहा है। खाने के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जा रही है ताकि कोचिंग में पढ़ाई कर रहे छात्रों को किसी तरह की तकलीफ न हो। जिला प्रशासन के अधिकारी भी समय-समय पर निरीक्षण के लिए आते हैं।
कोचिंग में पढ़ाई को लेकर कमलेश्वर की तरह हरेक बच्चा आश्वस्त है। कमलेश्वर का कहना है कि यह सुविधा नहीं मिलती तो शायद सपना अधूरा रह जाता। हम लोग सिर्फ सोचकर रह जाते। फिर या तो बीएससी करके छोटा-मोटा जॉब करते या गांव में रहकर खेती-बाड़ी। अब मौका मिला है। जैसे ही कोचिंग का पता चला मैंने फार्म भर दिया। एग्जाम देने के बाद जब सिलेक्शन हुआ तो मैं बेहद खुश हुआ। अब इस मौके को हाथ से नहीं जाने दूंगा। मैं अपना सौ परसेंट अपनी पढ़ाई को दे रहा हूं। मुझे पूरा यकीन है कि मैं नीट के एग्जाम में सफल होऊंगा।