मनोरोगियों के उपचार की चिंता करते हुए शासन ने पांच साल पहले बिलासपुर जिले के सेंदरी में राज्य मानसिक चिकित्सालय खोला। यहां मरीजों का इलाज तो किया ही जाता है साथ ही उन्हें अच्छा माहौल देने की पूरी व्यवस्था की गई है ताकि उन्हें मानसिक शांति मिले। इसके लिए मनोरंजन के संसाधन भी जुटाए गए हैं। समय-समय पर उन्हें टीवी पर समाचार आदि सुनवाया जाता है। कॉमेडी सीरियल दिखाए जाते हैं। भजन व गीतों की महफिल भी सजती है। इसका एक अलग कक्ष बनाया गया है। अस्पताल का माहौल संगीत से सराबोर हो जाता है।
नवंबर, 2013 में अस्पताल के उदघाटन से पहले ही यहां दी जाने वाली सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। दो सौ बिस्तरों वाले इस अस्पताल को 6 वार्डों में बांटा गया। पुरुषों और महिलाओं के लिए ओपन और क्लोज वार्ड बनाए गए ताकि मानसिक रोगियों के स्तर के हिसाब से उन्हें रखा जा सके और किसी को कोई तकलीफ न हो। इसके अलावा पुनर्वास और प्राइवेट वार्ड की व्यवस्था भी की गई है। ऐसी व्यवस्था के चलते हर वर्ग का व्यक्ति इससे प्रभावित हो रहा है और अपने परिजनों व परिचितों के बीच इसकी चर्चा भी कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन वार्डों की साफ-सफाई को लेकर बेहद सजग है। इसे लेकर हर रोज मॉनिटरिंग की जाती है। अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की सुविधा काे देखते हुए अंत: रोगियों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था की है। भर्ती मरीजों का भोजन केंटीन में बनता है। बाह्य और अंत: रोगी विभाग अलग-अलग है। इसी के साथ पेईंग वार्ड भी है। एक्स-रे, पैथालॉजी, ईसीटी व ईसीजी जैसे जांच अस्पताल के भीतर ही होते हैं। यह निरंतरता बनी रहे इसके लिए प्रबंधन ने जिम्मेदारी सौंप रखी है।
मरीज व उनके परिजनों को शुद्ध व शीतल जल मिले इसके लिए भी ओपीडी और आईपीडी में पांच वाटर कुलरों के इंतजाम किए गए हैं। कुल मिलाकर यहां आने वाले मरीज सुविधाओं को लेकर प्रबंधन की तारीफ करते नहीं थकते। सबसे बड़ी बात कि अस्पताल में बिजली चली भी जाए तो 20 केवीए का जनरेटर विद्युत का संचालन रुकने नहीं देता। अस्पताल के पास दो एंबुलेंस हैं एक छोटा और एक बड़ा। मरीज के रिश्तेदारों के ठहरने का इंतजाम भी रखा गया है। पुरुष और महिलाओं की व्यवस्था अलग है। वहां पार्किंग की उचित व्यवस्था भी की गई है। अस्पताल प्रबंधन मरीजों की सुरक्षा को लेकर भी सजग है। मरीजों के घूमने के लिए कोर्टयार्ड बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया गया है। अस्पताल में 17 सुरक्षा गार्ड हैं। इसके अलावा सात नगर सैनिक जिसमें चार पुरुष और तीन महिलाएं शामिल हैं। यहां सिर्फ इलाज नहीं होता बल्कि मरीजों के पुनर्वास के लिए प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं। भर्ती मरीजों को मनोरंजन के साथ कौशल उन्नयन प्रशिक्षण भी दिया जाता है। सबसे बड़ी बात है इंटरनेट की उपलब्धता। प्रबंधन भी जानता है कि सोशल मीडिया और टेक्सट व वीडियो चैटिंग के जरिए लोग एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसके अलावा देश-दुनिया की जानकारी भी इसी में मिलती है। इसे देखते हुए पूरे परिसर में वाई-फाई की सुविधा दी गई है। यहां के सुप्रीटेंडेंट डॉ. भाग्य रवि नंदा ने बताया कि शुरू में यहां की सुविधाओं के बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी। जैसे-जैसे जानकारी हुई तो लोग इलाज कराने पहुंचने लगे हैं। अस्पताल में सभी प्रकार के मानसिक रोगों का इलाज किया जाता है।