रानु रात्रे आठवीं कक्षा में हैं और कवर्धा जिले के तेंदुआड़ी गाँव की रहने वाली हैं। उनके माता-पिता की कुल आठ संतानें हैं। रानु की छह बहनें हैं और एक भाई। माता-पिता किसानी करते हैं। जमीन ज्यादा नहीं है इसी वजह से आमदनी भी ज्यादा नहीं है। घर-परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए रानु के माता-पिता दूसरों के यहाँ मजदूरी भी करते हैं। परिवार गरीब है।
रानु जब पांचवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थीं, तब कुछ सरकारी चिकित्सक उनके स्कूल में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के लिए आये। सभी बच्चों का गहन परीक्षण किया गया। रानु की भी जांच हुई। स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान पता चला कि रानु के दिल की धड़कन सामान्य नहीं है। दिल की असामान्य धड़कन से डॉक्टरों को पता चल गया कि रानु को दिल की बीमारी है।
इसके बाद डॉक्टरों ने समय गंवाए बिना रानु के दिल का ‘2 डी इको टेस्ट’ करवाया। इस टेस्ट से यह साफ हो गया कि रानु को ‘टेट्रालजी ऑफ़ फल्लोट’ नाम की बीमारी है। यह बीमारी जन्मजात होती है और इसका इलाज न करने पर जान जाने का खतरा होता है।
चूँकि रानु की जान को भी खतरा था, इलाज जरूरी हो गया। डॉक्टरों ने बताया कि रानु को दिल की इस जटिल बीमारी से मुक्ति दिलवाने के लिए बाईपास सर्जरी करनी होगी। सर्जरी की बार सुनते ही रानु रात्रे के परिवारवालों के दिल की धड़कनें तेज हो गयीं। परिवारवाले जानते थे कि सर्जेरी में बहुत खर्च होगा। और, वे यह भी जानते थे कि सारी संपत्ति बेचने के बाद भी वे सर्जरी के लिए जरूरी रकम नहीं जुटा पायेंगे।
इसी बीच सरकारी अस्पताल के अधिकारियों ने रानु ने माता-पिता को बताया कि छत्तीसगढ़ में गरीब बच्चों के इलाज के लिए मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना शुरू की गयी है। इस योजना के तहत राज्य सरकार गरीब और जरूरतमंद बच्चों को दिल की बीमारियों से मुक्ति दिलवाने के लिए उनका निःशुल्क इलाज करवा रही है।अधिकारियों ने रानु ने मामले में भी सारी कागज़ी कार्यवाही पूरी की और बाईपास सर्जरी का प्रबंध करवाया। सितम्बर, 2015 में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में रानु की बाईपास सर्जरी की गयी। सर्जरी कामयाब रही और रानु को दिल की जटिल बीमारी से मुक्ति मिल गयी।
रानु अब स्वस्थ है और खुश भी। उसके दादा बंशी रात्रे कहते हैं, “अगर सरकार ने मेरी नाती की सर्जरी न कराई होती तो ना जाने क्या होता। भला को डॉक्टरों का जिन्होंने पता लगाया कि मेरी रानु को दिल की बीमारी है और फिर खुद ही उसका इलाज करवाया।”
महत्वपूर्ण बात यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ‘चिरायु योजना’ के तहत स्वास्थ्य जांच की गयी थी। ‘चिरायु योजना’ के अंतर्गत राज्य-भर में बच्चों के स्वास्थ्य की जांचकी जाती है और जरूरत के मुताबिक गरीब और जरूरतमंद बच्चों को सरकार की ओर से निःशुल्क चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। रानु की बाईपास सर्जरीछत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना के तहत की गयी। मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना के तहत गरीब परिवार के बच्चों को दिल से जुड़ी सात तरह कीअलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए प्रदेश सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाती है। दिल से जुडी बीमारियों के मामलों में मुख्य रूप से सामान्य सर्जरी के लिए1.30 लाख रुपये की मदद दी जाती है, जबकि जटिल सर्जरी के लिए 1.5 लाख रुपये दिए जाते हैं. वॉल्व रिप्लेसमेंट की स्थिति में 1.80 लाख रुपये की मदद दी जाती है।रानु की बाईपास सर्जरी का खर्च करीब 2 लाख रुपये के आसपास है।