राजनांदगांव जिले में एक ऐसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) है, जहां वार्डों में एसी की सुविधा है। गर्भवती महिलाओं को काजू-बादाम खिलाया जाता है। स्वास्थ्य केंद्र के भवन में सभी प्रकार की सुविधाएं हैं। सुविधाओं को देखते हुए यह अस्पताल महिलाओं की पहली पसंद बन चुका है। इसलिए डिलीवरी का लक्ष्य दोगुना हाे गया है। आसपास के गांवों से आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। पहले यहां ओपीडी में औसतन 10 मरीज आते थे। अब यह संख्या बढ़कर तकरीबन 40 हो गई है।
मुरमुंदा के पीएचसी में प्रवेश करते ही साफ-सुथरा माहौल मिलता है। बाउंड्रीवाल से घिरे भवन की खूबसूरती देखते ही बनती है। उस पर यहां का वातावरण। आसपास के गांवों से आने वाले मरीजों को बेहतर महसूस होता है। इसलिए अब यहां आईपीडी और ओपीडी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पहले रोजाना दस मरीज इलाज कराने आते थे, लेकिन अब दिन में कम से कम 40 मरीज आते ही हैं। यहां की साफ-सफाई और खूबसूरती के चलते ही अस्पताल को पिछले साल राज्य स्तरीय कायाकल्प पुरस्कार भी दिया गया। सबसे बड़ी खासियत ये कि यहां के वार्ड एयरकंडीशंड हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा मिलता है गर्भवती महिलाओं को। साफ-सुथरा वार्ड और बिस्तर देखकर मुरमुंदा क्लस्टर के 14 पंचायतों की महिलाएं इसे प्राथमिकता में रखती हैं। स्टाफ नर्स दिव्या खोबरागढ़े ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को खाने के लिए काजू, बादाम, पिस्ता आदि ड्रायफ्रूट दिए जाते हैं। इसके अलावा नवजात शिशुओं का खास ध्यान रखा जाता है। मच्छरों से सुरक्षा के लिए मच्छरदानी दी जाती है। प्रसूताओं को बेबी किट देते हैं। इसमें पैंपर-डायपर आदि भी शामिल हैं। इन्हीं सुविधाओं के कारण संस्थागत प्रसव में भी वृद्धि हुई है।
अस्पताल के माहौल से मरीज तो खुश हैं ही, स्टाफ भी पूरे उत्साह से काम कर रहा है। मुरुमंुदा पीएचसी के प्रभारी डॉ. लिमेश जोशी का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ जांच की सुविधाएं हैं। कोशिश रहती है कि मरीजों को पूरा इलाज मिले। हम अपना शत प्रतिशत देते हैं। दिव्या का कहना है कि वे यहीं रहती हैं और मरीजों की सेवा करती हैं। उन्हें यहां रहकर काम करना अच्छा लगता है। इस तरह रुर्बन मिशन के तहत मुरुमुंदा का अस्पताल बेहतर रूप ले चुका है। रुर्बन मिशन के अंतर्गत मुरमुंदा क्लस्टर के 14 पंचायतों की तस्वीकर बदल रही है। अब तक स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि आदि विभिन्न क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किए गए 248 कार्याें में से 185 कार्य पूरे हो चुके हैं। इन कार्यों के लिए मिले 12 करोड़ 89 लाख रुपए में से सात करोड़ 76 करोड़ के कार्यों काे अंजाम दिया जा चुका है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट अंतर्गत अपशिष्ट प्रबंधन पर बेहतर काम हो चुका है। इन गांवों के 70 फीसदी लोगों को कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
इसी तरह सड़क सुधारे जा रहे हैं। स्ट्रीट लाइट और हाईमास्ट भी लगाए गए हैं। इससे रुर्बन गांवों में उजियारा फैल रहा है। गांव के विकास से ग्रामीण खुश हैं और वे केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं का भरपूर लाभ ले रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इसी तरह सुविधाओं में वृद्धि होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा गांव शहरों के समकक्ष खड़ा हो जाएगा।