परिवार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई से परहेज नहीं किया, लेकिन कोचिंग के लिए कवर्धा से बाहर भेजने राजी नहीं हुए। श्रेया असमंजस में पड़ गई। अच्छे अंकों के साथ10वीं-12वीं की मेरिटोरियस स्टूडेंट है। कॅरियर की चिंता तो होगी ही। इस उधेड़ बुन के बीच उसने गवर्मेंट पीजी कॉलेज में एडमिशन लिया। बीएससी की पढ़ाई करने लगी। फिर पता चला कि जेईई और एनईईटी के लिए सरकार फ्री कोचिंग की व्यवस्था कर रही है। सिर्फ 100 सीटें हैं। उसने भी फार्म भरा। सिलेक्ट हुई और आज मन लगाकर पढ़ाई कर रही है। छत्तीसगढ़ के छोटे-छोटे शहरों की लड़कियों के साथ ऐसी ही परेशानी आती है। जैसा कवर्धा में रहने वाली श्रेया श्रीवास्तव के साथ हुआ। उसके पिता राइस मिल के संचालक हैं। बिजनेस अच्छा खासा चल रहा है। मां प्राइवेट स्कूल में टीचर है। पूरा परिवार जानता है कि श्रेया टॉपर है और वह इंजीनियर बनना चाह रही। इसका सभी समर्थन कर रहे, लेकिन बाहर जाकर कोचिंग करने के पक्ष में कोई नहीं। जून में पता चला कि छत्तीसगढ़ सरकार कवर्धा में मेरिटोरियस स्टूडेंट्स के लिए फ्री कोचिंग की व्यवस्था कर रही है। यहां छात्र-छात्राओं को सारी सुविधाएं दी जाएंगी। परिवार ने परमिशन दी और श्रेया कोचिंग में सिलेक्शन के लिए तैयारी करने लगी।
इस कोचिंग में विद्यार्थियों का चयन 10वीं-11वीं के परिणाम और प्रवेश परीक्षा के नंबरों के आधार पर होना था। श्रेया मेरिटोरियस स्टूडेंट तो थी ही, 20 जून को हुए एंट्रेंस एग्जाम में भी वह सिलेक्ट हुई। अब हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही है। लक्ष्य रखा है आईआईटी में सिलेक्शन का। श्रेया के जैसे 100 बच्चे हैं, जिनका सिलेक्शन इस कोचिंग के लिए हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना से छोटे शहरों के मेरिटोरियस स्टूडेंट को प्रोत्साहन मिल रहा है। खास तौर पर ऐसे छात्र जो क्षमतावान हैं, लेकिन सही समय पर उन्हें उचित गाइडेंस नहीं मिलने से वे पीछे रह जाते हैं। कोचिंग में एक स्तर की पढ़ाई होने से उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है और वे आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
कवर्धा के शासकीय नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कचहरी पारा में इस आवासीय कोचिंग का संचालन किया जा रहा है, जिसमें जेईई के लिए 40 और एनईईटी के लिए 60 स्टूडेंट्स का चयन किया गया है। इन्हें पूरे सत्र कोचिंग दी जाएगी। हर विषय के विशेषज्ञ उन्हें तैयार करेंगे। जेईई कोचिंग के लिए अनुसूचित जाति के पांच, अनुसूचित जनजाति के आठ, अन्य पिछड़ा वर्ग के छह और अनारक्षित की 21 सीटें हैं। इसी तरह एनईईटी के लिए अनुसूचित जाति के आठ, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के आठ और अनारक्षित के लिए 31 सीटें निर्धारित की गई हैं।
फ्री कोचिंग करने वाले मेरिटोरियस स्टूडेंट की उम्मीदें जागी हैं। श्रेया का कहना है कि जेईई में सिलेक्शन के लिए वह दिनरात मेहनत कर रही है। कोचिंग में शिक्षकों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। बताया गया कि कोचिंग के संचालन की पूरी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की है। जिले के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सरकार खुद इसके संचालन पर नजर रखे हुए है। उसकी मंशा है कि जिले का कोई भी होनहार बच्चा अच्छी शिक्षा से वंचित न हो जाए। इसी उद्देश्य के साथ जांजगीर-चांपा में आकांक्षा योजना का संचालन हो रहा है और कवर्धा में फ्री कोचिंग की प्लानिंग की गई है।