भाटापारा के सेमरिया गांव में रहने वाले शिव कुमार पिता रामकृपाल अग्रवाल 13 एकड़ जमीन में पारंपरिक खेती करते और सब्जी का उत्पादन किया करते थे, लेकिन अब उनका मुख्य व्यवसाय डेयरी हो चुका है। सालभर तक गायों को हरा चारा खिलाने के लिए पांच एकड़ जमीन में वे इसी की खेती कर रहे हैं। फिलहाल उनके पास 110 मवेशी हैं, जिनसे 600 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है और वे 35 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से 2100 रुपए प्रतिदिन कमा रहे हैं। अब डेयरी के व्यवसाय को और बढ़ाना चाहते हैं।
शिव कुमार ने बताया कि 1982 से वे लगभग 13 एकड़ खेत में मेहनत कर रहे थे। पहले पारंपरिक खेती की। धान, चना, गेहूं आदि का उत्पादन किया और सब्जी का उत्पादन भी करने लगे। इससे होने वाली आय के चलते उन्होंने 1990 में चार दुधारू गाय खरीदे और अग्रवाल डेयरी फार्म के नाम से दुग्ध व्यवसाय शुरू किया। आमदनी ठीक-ठाक होने लगी तो इसे बढ़ाने के लिए पशु पालन विभाग से मार्गदर्शन लेने पहुंचे। वर्ष 1994-95 में 6 अतिरिक्त पशुओं की खरीदी कर इसे मुख्य व्यवसाय बनाया और रोज लगभग 60 से 70 लीटर दूध का उत्पादन करने लगे। दूध के उत्पादन से उनकी रुचि बढ़ी। आमदनी का मुख्य स्रोत नजर आने लगा।
फिर विभाग से मार्गदर्शन लेकर नस्ल सुधार की दिशा में आगे बढ़े। फिर उससे मिली संतति के पालन-पोषण पर खर्च किया। टीकाकरण-उपचार और पोष्टिक आहार के चलते सेहतमंद मवेशियों से दूध का उत्पादन बढ़ने लगा। वर्ष 2002 के आसपास प्रतिदिन 150 लीटर दूध मिलने लगा। मुनाफा बढ़ा तो 2003 में पशु नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान की तरफ आगे बढ़े। इससे मिलने वाले मादा वत्सों का समुचित लालन-पालन किया और उनकी देखरेख पर पूरा ध्यान दिया गया। परिणाम ये हुआ कि आज उनके पास 110 मवेशी हैं। इसमें 101 गौवंशीय एवं 9 भैंस वंशीय हैं।
शिव कुमार अग्रवाल न केवल दूध बेच रहे हैं, बल्कि समय-समय पर प्रतिवर्ष तकरीबन 8 से 10 पशुओं की बिक्री कर अतिरिक्त लाभ अर्जित कर रहे हैं। वे पशुओं को खुद के द्वारा बनाए गए मिश्रित संतुलित पशु आहार तैयार करते हैं। इसके अलावा हरे चारे की कमी नहीं होने दी जाती। वे डेयरी व्यवसाय के साथ-साथ सब्जी उत्पादन और कृषि के कार्यों में भी उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।
आपको बता दें कि भाटापारा विकासखंड में निजी एवं संगठित डेयरी फार्म का दुग्ध उत्पादन चार हजार 335 लीटर प्रतिदिन और एक लाख 34 हजार 385 लीटर प्रतिमाह है। इस व्यवसाय से ढाबाडी, खोखली, सेमरिया, तरेंगा, धुर्राबांधा, गुड़ेलिया, कड़ार आदि गांवों के 41 डेयरी फार्म मालिक जुड़े हुए हैं, जिनके पास 341 एचएफ क्रास, 262 मुर्राह, 172 गीर, 61 जर्सी, 56 हरियाणा, 55साहीवाल और 354 अन्य मवेशियों को मिलाकर कुल एक हजार 301 जानवर हैं।