September 18, 2018

मोतियाबिंद के ऑपरेशन बाद दूसरे बच्चों की तरह ही देख पा रहा है संकल्प, 'कैटेरेक्ट, क्लब फूट और क्लेफ्ट लिप फ्री कबीरधाम' मुहिम का मिला फायदा

कवर्धा जिले का एक गांव है प्राण खैरा। यहां रहने वाले पूनम चंद्रकार और उनकी पत्नी मधु की चार संतानें हैं। पहली दो लड़कियां हैं मौली और राखी। इनके बाद जुड़वा बेटे हुए सिद्धांत और संकल्प। इन्हीं में से संकल्प को मोतियाबिंद की बीमारी थी। शुरू में घर वालों को पता नहीं चला, लेकिन जांच में स्पष्ट होने के बाद श्री गणेश विनायक आई इंस्टीट्यूट में ऑपरेशन हुआ। डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन किया तो संकल्प भी अब दूसरे बच्चों की तरह देख पा रहा है।

पहले तो जुड़वा बच्चे नॉर्मल दिखे, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ी संकल्प की कमजोरी सामने आने लगी। वह कुछ दूर चलता और अचानक गिर जाता। अजीब सी हरकतें करने लगता। कुछ दिनों तक घर वालों ने इसे शरारत समझकर नजर अंदाज किया, लेकिन समस्या बढ़ी तो वे भी चिंतित हुए। एक दिन पिता पूनम और मां मधु संकल्प को दामापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। डॉक्टरों को उसकी हरकतों के बारे में बताया। इसके बाद उसके आंखों की जांच की गई। पता चला मोतियाबिंद है। दामापुर के डॉक्टरों ने उन्हें रायपुर जाकर इलाज कराने की सलाह दी।

इसके बाद पूनम को सीसीसी मिशन की जानकारी मिली। उसने इस योजना के तहत अपने बेटे का इलाज कराने के लिए लिखा पढ़ी की। सरकार से मंजूरी मिलते ही श्री गणेश विनायक आई इंस्टीट्यूट में ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के दौरान पूनम और उसका परिवार काफी चिंतित था, लेकिन सफलता मिलते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की इस पहल का स्वागत किया और कहा कि गरीब परिवार इस तरह के ऑपरेशन का खर्च नहीं उठा पाता। सरकार यह मिशन चलाकर काफी सहायता कर रही है।

बताया गया कि कबीरधाम के बोड़ला और पंडरिया में कैटेरेक्ट के मामले ज्यादा हैं। इसका कारण यहां के रहन-सहन, वातावरण आदि है। कुछ लोगों में यह अनुवांशिक भी है। इसी तरह क्लबफुट जिसमें बच्चे का पैर असाधारण तरीके से मुड़ा हुआ होता है। क्लेफ्ट लिप यानी कटे-फटे होठ और तालू वाले बच्चे भी मिलते हैं। ऐसे मामलों को ध्यान में रखते हुए शासन ने सीसीसी मिशन चलाया। अस्पतालों में कैंप लगाए गए और ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया गया। जानकारी के मुताबिक आज कटे-फटे होंठ वाले 82 मामलों में से 62 का इलाज हो चुका है और 20 का इलाज होना बाकि है।

मुड़े हुए पैर वाले 151 मामले सामने आए। अब तक 114 लोगों का उपचार किया जा चुका है और 37 लोगों के इलाज की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे ही मोतियाबिंद वाले 2000 मरीज मिले। डॉक्टरों ने 1148 का ऑपरेशन कर आंखों को रोशनी दे दी। पेंडिंग 852 के उपचार भी जल्द किए जाएंगे। इस तरह सीसीसी मिशन को लेकर सरकार ने तत्परता दिखाई है।

पूनम की तरह बोड़ला, पंडरिया आदि के आसपास के गांवों में कई परिवार हैं, जिन्हें मिशन के चलते खुशी मिली। संकल्प को देखने के बाद दामापुर और प्राण खैरा के दूसरे लोगों ने भी सरकार के इस मिशन की प्रशंसा की। उनका कहना है कि गरीब परिवार के पास खाने-पीने का सामान होता है, लेकिन बीमारी को लेकर समझ और इलाज के लिए रुपए नहीं होते। सरकार ने ये बहुत बड़ा काम किया है। इससे गरीबों की दुआ मिलेगी।


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