स्मार्टफोन ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतर काम किया है। मनोरंजन, नॉलेज और संचार से भी बड़ी बात ये कि हाथ में मोबाइल आने के बाद कॉलेज की छात्राएं खुद को सुरक्षित महसूस करने लगी हैं। मिनी माता कन्या महाविद्यालय में बीए सेकंड ईयर की छात्रा स्वाति वर्मा खुद कह रही हैं कि अब उन्हें बाहर निकलने में डर नहीं लगता। ऐसा फील होता है कि खतरा हुआ तो फौरन पुलिस को फाेन कर लेंगे या किसी रिश्तेदार या दोस्त को बुला लेंगे।
स्वाती के पिता देवलाल वर्मा खेती-किसानी करते हैं। मां पुष्पा वर्मा हाउस वाइफ हैं। दादा रिटायर्ड करमचारी हैं। घर की परिस्थितियां बिल्कुल भी ऐसी नहीं थी कि हरेक के हाथ में मोबाइल दिया जा सके। एक फोन था, लेकिन वह पापा के लिए जरूरी था। इसलिए उनसे मांगने की हिम्मत नहीं होती थी। इच्छा तो बहुत थी पर आर्थिक तंगी के कारण परिवार वालों को भी बोल नहीं पाते थे। जब सरकार ने संचार क्रांति योजना की शुरुआत की तो बहुत खुशी हुई। आज हमारे हाथ में भी मोबाइल है।
स्वाति का भाई राम वर्मा 12वीं की पढ़ाई कर रहा है। दोनों भाई-बहन अपना स्टडी मटेरियल निकालकर घर पर ही अभ्यास करते हैं। प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए पहले स्टेशनरी के चक्कर काटने पड़ते थे। अब नेट से डाउनलोड कर अपना प्रोजेक्ट खुद बना लेते हैं। उनका कहना है कि मोबाइल के जरिए ग्र्रुप डिस्कशन आसान हो गया है। वाट्सएफ, फेस बुक, गूगल के जरिए दोस्तों से जुड़े हुए हैं। इससे बिना किसी परेशानी के संपर्क में रहना आसान हो गया है। किसी तरह की दिक्कत आती है तो ग्रुप में डाल देते हैं और उस सवाल का जवाब मिल जाता है।
स्मार्ट फोन के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जानकारी भी मिल जाती है। स्वाति कहती हैं कि स्मार्टफोन महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ परिवार की सेहत का ध्यान रखने में सक्षम बना रहा है। नेट बैंकिंग होने से महिलाओं को बैंकों तक जाना ही नहीं पड़ता, उनके सारे काम घर बैठे हो जाते हैं। कोई भी अपने फोन की मदद से बैंक खातों को खोल और संचालित कर सकता है। ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं जो उपयोगकर्ताओं को अल्पसंख्यक और अन्य प्रकार के ऋणों के बारे में शिक्षित करते हैं, और इन ऋणों के लिए आवेदन करने में भी उनकी सहायता करते हैं।
केवल यही नहीं स्मार्टफोन वित्तीय साक्षरता के सुधार में भी मदद करते हैं। देखें कि मोबाइल के जरिए विदेशों में इसके लिए कैसे प्रयोग हो रहे हैं और क्या नया किया जा रहा है। केन्या में एक मोबाइल फोन आधारित मनी ट्रांसफर सेवा लांच की गई है। केन्या मोबाइल मनी सिस्टम तक पहुंच एम-पीईएसए प्रति व्यक्ति खपत के स्तर में वृद्धि हुई और एक लाख 94,000 परिवारों या केन्या की 2% आबादी को गरीबी से बाहर लाया गया।
सही मायने में सरकारी योजना के तहत गरीबों को बांटे गए मोबाइल फोन के जरिए उनके जीवन में काफी परिवर्तन आया है। छात्राएं बताती हैं कि घर में स्मार्टफोन होने से छोटे-छोटे काम के लिए परेशान नहीं होना पड़ता। वे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने इतने बड़े विजन के साथ स्काई योजना लागू की।