कहते हैं नौ माह कोख में रखने के बाद जब मां बच्चे को जन्म देती है तो उसका भी पुर्नजन्म होता है। डिलीवरी के समय में सारी सुविधाएं मिल जाएं तो इससे बड़ी सहायता कुछ भी नहीं। बालोद की रहने वाली 25 वर्षीय हेमलता ठाकुर बताती हैं कि दो अक्टूबर को उन्हें असहनीय दर्द उठा। घबराहट होने लगी। पति अनिल ठाकुर भी बाहर थे। कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी पड़ोसी ने 102डायल कर महतारी एकसप्रेस को कॉल किया। एक घंटे में गाड़ी घर पहुंची और आधे घंटे में उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया।
सचमुच ये गाड़ी मां की तरह आई और उसमें बैठा स्टाफ उन्हें सहेजता हुआ हॉस्पिटल तक ले गया। डिलीवरी भी नॉर्मल हुई। आज जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं। आपको बता दें कि अनिल के पास आठ एकड़ जमीन है और साथ में चाचा-चाची भी रहते हैं। इस तरह कमाई और खर्च का अंदाजा लगाएं तो आमदनी ठीकठाक ही कही जा सकती है। ऐसे समय में निजी अस्पताल का खर्च उठा पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन सरकारी अस्पतालों की सुविधाएं भी किसी प्राइवेट हॉस्पिटल से कम नहीं हैं। उस पर महतारी एक्सप्रेस का सहारा तो अतिरिक्त समझो।
रास्ते में भी डिलीवरी हो जाए तो कोई गम नहीं। जी हां, महतारी एक्सप्रेस में एक ट्रेंड मेडिकल प्रैक्टिशनर होता है जो इस एंबुलेंस में भी डिलीवरी करा सकता है। इंमरजेंसी सिचुएशन को भी हैंडल करने की क्षमता उनमें होती है। इसीलिए महिलाओं का भरोसा बढ़ा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2013 से 2016 तक इसके लाभान्वितों की संख्या में चार गुना इजाफा हुआ है। मतलब2013 में चार हजार 653 लाभान्वित थे, जबकि तीन साल बाद 2016 में इसकी संख्या 15 हजार 954 हो गई।
हेमलता और अनिल का कहना है कि कॉल करने के बाद स्टाफ के जवाब से ही संतुष्टि मिली और विश्वास हो गया कि वे लोग समय पर पहुंच जाएंगे। इस दौरान डॉक्टरों ने बताया कि सिचुएशन को कैसे हैंडल करना है। ठीक एक घंटे बाद घर के बाहर सायरन की आवाज सुनाई दी। महतारी एक्सप्रेस में ड्राइवर के अलावा एक मेडिकल प्रैक्टिशनर भी था। उन्होंने हेमलता को आश्वस्त किया और आधे घंटे तक उन्हें प्रोत्साहित करते रहे। हॉस्पिटल पहुंचने के बाद भी स्टाफ वार्ड तक ले गया और डॉक्टर से मिलने के बाद ही वहां से लौटा। सचमुच यह सुविधा गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है।
सबसे बड़ी बात ये है कि महतारी एक्सप्रेस डिलीवरी के समय ही नहीं इसके बाद भी मरीज को घर तक पहुंचाती है। अनिल ने बताया कि डिलीवरी सप्ताहभर बाद डॉक्टर ने जब डिस्चार्ज किया तो महतारी एक्सप्रेस ने ही हेमलता और नवजात को घर तक छोड़ा। अनिल का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने यह सुविधा देकर बहुत बड़ी राहत दी है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह खुद डॉक्टर हैं, इसलिए उनकी सोच में मरीजों की प्राथमिकता शामिल है। इसी का परिणाम है कि उन्होंने अस्पतालाें की व्यवस्था को लेकर बेहतर काम किया और 102 जैसी सुविधाओं को लागू किया है।