September 18, 2018

कोसा सिल्क की धमक-धमक बढ़ी साथ ही हस्तशिल्पियों की ज़िंदगी भी चमकी

छत्तीसगढ़ राज्य में टसर कोसा और शहतूती रेशम उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। टसर रेशम विकास एवं विस्तार योजना के तहत कोसा उत्पादन के लिए तेरह हजार 779 हेक्टेयर क्षेत्र में विभागीय परियोजना के साथ ही प्राकृतिक वन खण्डों का उपयोग किया जा रहा है। रेशम विभाग की विभिन्न योजनाओं से लगभग अस्सी हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं। हस्तशिल्पियों के विकास के लिए उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

राज्य में हस्तशिल्प रोजगार में संलग्न शिल्पकारों की संख्या लगभग पन्द्रह हजार है। हस्तशिल्प के विभिन्न विधाओं- बेलमेटल, लौह, बांस, काष्ठ, पत्थर, कौड़ी,शिशल, मृदा, कसीदाकारी, गोदना, भित्ती चित्र, कालीन आदि शिल्पों में राज्य के नौ हजार 747 शिल्पियों को बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण दिया जा चुका है। हस्तशिल्पियों को उनके उत्पादों की बिक्री के लिए राजधानी रायपुर के माना विमानतल परिसर, पुरखौती मुक्तांगन, छत्तीसगढ़ हाट परिसर पंडरी और शापिंग काम्पलेक्स आमापारा में शबरी एम्पोरियम खोला गया है। इसके अलावा भिलाई, राजनांदगांव, चम्पारण, जगदलपुर, परचनपाल, नारायणपुर, जशपुर,अम्बिकापुर, कोण्डागांव, कांकेर, मैनपाट और कनाट पैलेस नई दिल्ली एवं अहमदाबाद में शबरी एम्पोरियम संचालित किया जा रहा है। प्रदेश के कुम्हारों और माटीशिल्पियों के आर्थिक एवं तकनीकी विकास के लिए छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड की विभिन्न योजनाओं के तहत माटी शिल्पियों को प्रशिक्षण और रोजगार दिया जा रहा है। महासमुन्द जिले के गढ़फुलझर में राज्य की प्रथम सिरेमिक ग्लेजिंग यूनिट शुरू किया गया है। इससे चार सौ माटी शिल्प परिवारों को रोजगार मिल रहा है। कुम्हार टेराकोटा योजना के तहत माटी शिल्पियों को तीन हजार 745 नग उन्नत तकनीकी के विद्युत चाक और 505 नग बेरिंग चाक का निःशुल्क वितरण किया गया है। छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा इस वर्ष 15 अगस्त को मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के कम पढ़े-लिखे युवाओं को ग्रामोद्योग स्थापना के लिए आकर्षक अनुदान पर बैंकों से ऋण दिलाया जा रहा है। पिछले तीन माह में 56 इकाईयों के लिए 18 लाख रूपए का अनुदान दिया गया है। इससे 336 लोगों को लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम राज्य सरकार की एक बड़ी महत्वपूर्ण योजना है। इसमें स्व-रोजगार के लिए पांचवीं कक्षा तक शिक्षित युवक-युवतियों को अधिकतम एक लाख रूपए और आठवीं कक्षा तक शिक्षित युवक-युवतियों को अधिकतम तीन लाख रूपए का ऋण ग्रामोद्योग शुरू करने के लिए दिया जा रहा है। ग्रामोद्योग विभाग से सम्बद्ध सभी घटकों-हाथकरघा, रेशम, हस्तशिल्प, माटीकला और ग्रामोद्योग बोर्ड के हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए पंचवर्षीय ग्रामोद्योग नीति (2016-2021) तैयार की गई है। नीति के तहत ग्रामोद्योग से जुड़े सभी व्यवसायों के माध्यम से राज्य में सात लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है।

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कोसा सिल्क के मामले में छत्तीसगढ़ का जांजगीर चांपा जिला दुनिया-भर में काफ़ी मशहूर हो गया है। जिले के कोसा उत्पादों की चमक दूसरे देशों तक पहुंच चुकी है। कोसा कपड़े की गुणवत्ता, कोसा साडियां, सूट, कमीज के कपड़े में की गई पारंपरिक रंगाई, बुनाई तथा कसीदाकारी को विश्वस्तर पर पहचान मिली है। कोसा उद्योग जिले का पारंपरिक उद्योग रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पूर्व जिले में वर्ष1999- 2000 में तीन लाख 49 हजार नग कोसा और 275 किलोग्राम शहतूती रेशम का उत्पादन हुआ था। कोसे का यह उत्पादन 140 हेक्टेयर में लगाए गए अर्जुन पौधे एवं प्राकृतिक वनों पर आधारित था। इस कोसे से 233 किलोग्राम टसर धागे का उत्पादन हुआ और इस उद्योग से तब 274 कृमि पालक एवं धागा बनाने वालों को रोजगार मिला था। मांग के विरूद्व उत्पादन नगण्य होने के कारण बुनकरों को विदेशी धागे पर निर्भर रहना पड़ता था। बाहर से आने के कारण समय भी अधिक लगता था और लागत भी बढ़ जाती थी। वर्ष 1999- 2000 में करीब सवा दो लाख लाख नग नैसर्गिक कोसा होता था, वहीं वर्ष 2015- 16 में पौने सत्रह लाख नग कोसे का उत्पादन हुआ।


और स्टोरीज़ पढ़ें
से...

इससे जुड़ी स्टोरीज़

No items found.
© 2021 YourStory Media Pvt. Ltd. - All Rights Reserved
In partnership with Dept. of Public Relations, Govt. of Chhattisgarh