October 12, 2018

इंटरनेट के जरिए बच्चों को मिल रही विषयों की जानकारी और प्रभा ने मुट्‌ठी में कर ली दुनिया

संकरी गांव की प्रभा दीवर के हाथ में मोबाइल क्या आया, पूरी दुनिया मुट्‌ठी में आ गई। अब वे जब चाहें अपने रिश्तेदारों से वीडियो कॉल कर आमने-सामने बात कर पा रही हैं। उनके बच्चे इंटरनेट के जरिए विषयों से संबंधित जानकारी जुटा रहे हैं। कुल मिलाकर परिवार की लाइफ स्टाइल ही बदल गई है। प्रभा के पास खुद का मोबाइल होने से उनका आत्म विश्वास भी बढ़ा है। वे अपने रिश्तेदारों के नंबर सुरक्षित कर पा रही हैं और अपना दुख-सुख बांट रही हैं।

सरकार ने संचार क्रांति योजना की शुरुआत ही इसीलिए की ताकि गरीब परिवार का हरेक सख्स एक-दूसरे के संपर्क में रह सके। साथ ही देश-दुनिया के बारे में उन्हें पता चले और वे जागरूक हों। प्रभा के परिवार की कहानी ये बता रही है कि वे लोग कितने जागरूक हो रहे हैं। उनकी पांच बेटियां हैं। बड़ी बेटी एकता की शादी हो चुकी है और उसके दो बच्चे हैं। अब मोबाइल के जरिए हर रोज उनसे बात हो जाती है। दूसरी बेटी चंचल सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही है। तीसरी पूजा कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण ले रही है। चौथी बेटी अंजू फर्स्ट ईयर में है और सबसे छोटी वंदना 10वीं की पढ़ाई कर रही है। पढ़ने वाले सभी बच्चे अपने विषय से संबंधित जानकारियां मोबाइल के जरिए इंटरनेट पर तलाशते हैं। इससे उनका नॉलेज बढ़ रहा है।

वैसे तो घर में पहले से ही तीन फोन थे, लेकिन प्रभा के हाथ में अब उनका खुद का मोबाइल है, जिसने उनकी दिनचर्या ही बदल दी है। पहले रिश्तेदारों से बात करने के लिए उन्हें दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता था। केवल यही नहीं सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ के बारे में भी वे मोबाइल के जरिए ही जान पा रही हैं। उनके पास मोबाइल होने से छोटी बेटी वंदना भी इसका भरपूर इस्तेमाल कर रही है। स्कूल से घर लौटने के बाद अपने विषयों से संबंधित सवाल वे इंटरनेट पर तलाशती हैं और मिलने के बाद अपने दोस्तों से शेयर भी करती हैं।

स्काई योजना के तहत लोगों को मोबाइल की सुविधा देने के लिए सबसे पहले ऐसे परिवारों की सूची तैयार की गई और उनके लिए स्मार्टफोन भेजे गए। शहरों में वितरण के बाद अब गांवों में भी मोबाइल बांटे गए। आपको बता दें कि संचार क्रांति योजना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैशलेस ट्रांजेक्शन को भी बल मिलने वाला है। लोग भीम एप, पेटीएम आदि की जानकारी तलाश रहे हैं और कुछ लोगों ने तो ई-पेमेंट करना शुरू भी कर दिया है। फिल्म, फोटो आदि डाउनलोड करना और उसे शेयर करने में भी लोग रुचि दिखा रहे हैं। इस एक योजना के जरिए गरीब परिवार का व्यक्ति भी अपनी अभिव्यक्ति से लोगों को अवगत करा पा रहा है।

स्मार्टफोन ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी काम किया है। महिलाएं सूचना स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जानकारी के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। इस तरह स्मार्टफोन महिलाओं को अपने स्वास्थ्य कें साथ-साथ परिवार की सेहत का ध्यान रखने में सक्षम बना सकता है। आज, बैंकिंग तक पहुंच अब तक बड़ी चुनौती नहीं है क्योंकि यह कुछ साल पहले उपयोग की जाती थी। बैंकिंग अब एम-बैंकिंग के आगमन के साथ हमारी उंगलियों पर उपलब्ध है। ऐसे कई ऐप्स हैं जो जागरूकता बढ़ाने और वित्तीय साक्षरता में सुधार करने में मदद करते हैं। कोई भी अपने फोन की मदद से बैंक खातों को खोल और संचालित कर सकता है। ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं जो उपयोगकर्ताओं को अल्पसंख्यक और अन्य प्रकार के ऋणों के बारे में शिक्षित करते हैं, और इन ऋणों के लिए आवेदन करने में भी उनकी सहायता करते हैं।

सकरी गांव की प्रभा और उसके परिवार ने ये बता दिया है कि सरकार की ये योजना गरीब परिवार के लिए कितनी उपयोगी है। उनकी बेटी चंचल का कहना है कि इंटरनेट का अब इसके जरिए वे नेट बैंकिंग, ई-ट्रांजेक्शन का भी इस्तेमाल सीख पाएंगी और इससे जिंदगी आसान हो जाएगी। अंजू कहती हैं कि जब से मोबाइल आया है, छोटी-छोटी चीजों के लिए भटकना नहीं पड़ता है। एक क्लिक पर सारी चीजें हासिल हो जाती हैं।

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