September 13, 2018

ई-रिक्शा ने दुर्गा प्रसाद जैसे कई गरीबों को लाया है प्रगति की राह पर

दुर्गा प्रसाद बंजारे ने कवर्धा शहर में करीब पांच साल तक पडेल रिक्शा चलाया। दिल-भर पसीना बहाने के बाद उन्हें 200 रुपये मिलते थे। घर-परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह कमाई काफी नहीं थी। घर में माता-पिता हैं, दो भाई और दो बहनें हैं।

दुर्गा प्रसाद की शादी हो गयी है और घर में पत्नी और उनका एक लड़का भी रहता है। भाई-बहनों में दुर्गा प्रसाद सबसे बड़े हैं और इसी वजह से घर-परिवार को सँभालने-चलाने का दायित्व भी उनपर बड़ा है। गरीबी की वजह से उन्हें माता-पिता उन्हें ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं पाए। आठवीं तक पढ़ाने के बाद उन्हें भी किसानी में लगा दिया गया। पिता के नाम करीब एक एकड़ जमीन है और दुर्गा प्रसाद ने शुरू में इसी पर किसानी में अपने पिता का हाथ बटाना शुरू किया। चूँकि जमीन काफी कम है, इससे इतनी आमदनी नहीं हो सकती कि घर-परिवार चलाया जा सके। मजबूरन माता-पिता के साथ दुर्गा प्रसाद को भी दूसरे के खेतों में मजदूरी करनी पड़ी। मजदूरी से भी जब हालत नहीं सुधरी तब दुर्गा प्रसाद ने नौकरी करने की सोची। चूँकि ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे उन्हें नौकरी नहीं मिली। दूसरों की देखा-देखी उन्होंने एक पडेल रिक्शा खरीदा और कवर्धा शहर में चलने लगे। सवारियों से जो रुपये मिलते उससे घर-परिवार की जरूरतें पूरी होने लगीं। लेकिन कमरतोड़ मेहनत के बाद भी दिन में सिर्फ 200 रूपये ही मिल पाते थे। जिस दिन सवारियां ज्यादा मिलती, उस दिन आमदानी 300 रुपये तक हो जाती। यानी परिवार गरीब ही रहा और कड़ी मेहनत के बावजूद आमदनी ज्यादा नहीं हुई।

करीब चार महीने पहले दुर्गा प्रसाद की ज़िंदगी में नयी रोशनी आयी। यह रोशनी सरकार की एक योजना की वजह से आयी। इसी साल छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के गरीब लोगों के लिए ई-रिक्शा सब्सिडी योजना शुरू की| इस योजना ने दुर्गा प्रसाद की जिंदगी बदल दी। इस योजना के तहत,श्रम विभाग द्वारा राज्य में ई-रिक्शा की खरीद पर सभी लोगों को सब्सिडी दी जाएगी। ई-रिक्शा खरीदने वालों को राज्य सरकार श्रम विभाग के माध्यम से 50 हजार रुपए का अनुदान देने लगी है। पहले सभी जिलों में ई-रिक्शा के लिए सब्सिडी का प्रावधान नहीं था। कुछ जिलों में जिला खनिज संस्थान से सब्सिडी दी जा रही थी, लेकिन अब कुल लागत की एक तिहाई अर्थात 50 हजार रुपए की राशि सब्सिडी राज्य सरकार दे रही है।

दुर्गा प्रसाद ने इसी योजना का लाभ उठाया और ई-रिक्शा के मालिक बन गए। वे पिछले तीन महीनों से ई-रिक्शा चला रहे हैं और अब उन्हें हर दिन कम से कम 400 रूपये की आमदनी हो रही है। बड़ी बात यह भी है कि दुर्गा प्रसाद को अब ज्यादा पसीना नहीं बहाना पड़ रहा है क्योंकि ई-रिक्शा मिलने की वजह से अब उन्हें पडेल पर अपने पाँव चलने की जरूरत नहीं है। दुर्गा प्रसाद कहते हैं कि ई-रिक्शा आने की वजह से कवर्धा के लोग भी खुश हैं, इससे सवारियों को बहुत सहूलियत है और वे कम समय में आसानी से अपने गंतव्य पहुँच पा रहे हैं।

दुर्गा प्रसाद जैसे कई गरीब लोगों ने छत्तीसगढ़ सरकार की ई-रिक्शा सब्सिडी योजना का लाभ उठाया और ई-रिक्शा चलाते हुए प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।

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