September 11, 2018

गांव-गांव में बैंक का कामकाज आसान कर रही हैं बैंक सखियाँ पैसे जमा करने हों या निकालने हों, गांव की बिटिया के हाथों में बागडोर

छत्तीसगढ़ में महिलाएं आर्थिक तौर पर ही सबला नहीं हो रही हैं, बल्कि तकनीक से जुड़कर नए दौर का कामकाज भी सीख रही हैं।

बैंकिंग सेक्टर में काम करके बुलंदियों को छूने वाली कई महिलाओं के सरीखे ही काम राजनांदगांव जिले की कई महिलाएं भी कर रही हैं। युवा टेमिन साहू जैसी कई महिलाएं बैंक सखी बनकर आम ग्रामीणों के मन में बने बैंकिंग के पेचीदा कामकाज की धारणाओं को तोड़ती हुई, बड़ी सरलता से उन्हें सुविधा उपलब्ध करा रही हैं। टेमिन साहू लैपटॉप पर बड़ी आसानी से रुपये-पैसों का लेनदेन करती हैं। अपने खातों में रुपए जमा करने आए लोगों के रुपए झट से जमा हो जाते हैं और उतनी ही तेजी से वह जरूरत पड़ने पर उन्हें रुपए आहरण करने में भी मदद करती हैं। गांव के पंचायत कार्यालय में ही उनका दफ्तर है, जोकि ‘ग्राहक सेवा केंद्र’ के नाम से चलता है। वे दो बैंकों – छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक और आईडीएफसी बैंक के ट्रैन्ज़ैक्शन में ग्रामीणों की मदद कर रही हैं।

टेमिन साहू जैसी बैंक सखियों के पास माइक्रो एटीएम होता है, जिसके माध्यम से वे तुरंत पैसा आहरित कर ग्रामीणों को उपलब्ध करा देती हैं। जिन गांवों में ग्राहक सेवा केंद्र के माध्यम से बैंक सखी ऑपरेट कर रही हैं, वहां वाइस मैसेज के माध्यम से उपभोक्ताओं को आहरण की जानकारी मिल जाती है, साथ ही रसीद भी मिल जाती है। जनधन खाते खुलवाने में भी बैंक सखियों  बड़ी भूमिका रही है।

बैंक सखी उसी गाँव की चयनित और प्रशिक्षित महिला होती है या फिर किसी पड़ोस के गांव की महिला। परिचित महिला होने की वजह से लोग इन पर पूरा भरोसा करते हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत बैंक सखियों का चयन किया गया है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं में से ही बैंक सखी को चयनित किया गया है।

टेमिन साहू छत्तीसगढ़ राज्य में पहले बैच की बैंक सखी हैं । उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत रायपुर में ट्रेनिंग ली। छत्तीसगढ़ में उन्हें ‘बिहान’ के अंतर्गत प्रशिक्षण दिलाया गया और फिर लैपटॉप उपलब्ध कराया गया।
बैंक सखी बनकर टेमिन एक मायने में गांव ही नहीं बल्कि आसपड़ोस के गाँवों की की बैंकर बन गयी हैं। वे कहती हैं, “गांववालों की मदद करने से बहुत खुशी मिल रही है। सारे लोग मुझे अब बैंक दीदी के नाम से पहचानते हैं। वैसे तो लोग मुझे पहले भी जानते थे लेकिन अब वे मुझे बहुत मानते हैं। लोग दुवा देते हैं तो बहुत अच्छा लगता हैं।”

टेमिन के कार्य-क्षेत्र में चार इलाकों - कोटराभांठा, कुम्हालोरी, मोहला, आरला गांव के लोग जरूरत पड़ने पर अब बैंक के चक्कर नहीं काटते, बल्कि सीधे टेमिन के पास पहुंच जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पहले उन्हें रुपए जमा करने या निकालने के लिए छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक या कहीं दूर बैंक शाखाओं तक जाना पड़ता था। उस पर काम हो पाएगा, या नहीं यह संशय बना रहता था। अब गांव की ही बेटी टेमिन  के कारण उन्हें बैंक की धक्का-मुक्की नहीं सहनी पड़ती। न लंबी लाइन में लगना पड़ता था। झट से काम हो जाता है। चाहे पेंशन के रुपए निकालने हों, शासकीय योजना के पैसे लेने हों या रुपए जमा करना हो।

राजनांदगांव जिले में टेमिन  के ग्राहक सेवा केन्द्र की तरह कई केन्द्र चलते हैं, जो बैंक सखी ही चला रही हैं। इनमें मानवता यह भी है कि ये बुजुर्गों व विकलांग, जो इनके ग्राहक सेवा केन्द्र तक नहीं पहुंच सकते, उनके घर तक जाकर उन्हें यह सुविधा देती हैं। ये एक दिन में प्रति ग्राहक सेवा केन्द्र के हिसाब से  3 लाख रुपए तक आहरण या जमा कर सकती हैं।

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