September 26, 2018

डॉक्टर बनकर बीमारियों से लड़ेगी शोभा और दुश्मनों को खत्म करने आनंद बनेगा फौजी, रायगढ़ जिले के विजयपुर गांव में पढ़ने वाले इन दोनों बच्चों ने तय कर लिया है लक्ष्य

दस साल का बच्चा खेल-खिलौनों के बारे में सोचता है। शरारतें करता है। नखरे करता है। मां-बाप से जिद करता है। लेकिन जब वही बच्चा अपने भविष्य को लेकर स्पष्ट बात कहे तो समझ लीजिए कि शिक्षा ने कच्चे मन काे आकार देना शुरू कर दिया है। हम बात कर रहे हैं रायगढ़ जिले के विजयपुर में स्थित छोटे से प्राइमरी स्कूल की, जहां पांचवीं में पढ़ने वाली शोभा डॉक्टर बनकर बीमारियों से लड़ना चाह रही है। वहीं साथ पढ़ने वाला आनंद फौज में जाना चाहता है।

दिल लगाकर पढ़ने वाली शोभा कहती है कि गांव में जब कोई बीमार पड़ता है तो उसे अच्छा नहीं लगता। घर वाले परेशान हो जाते हैं। अस्पताल दूर है तो लाने-ले जाने में भी परेशानी होती है। ऐसे में बीमारी से लड़ने की इच्छा होती है। मैं बड़ी होकर लोगों का इलाज करना चाहती हूं। आनंद का कहना है कि फौजियों को देखकर उसे भी दुश्मन के खिलाफ बंदूक चलाने का मन करता है। फौती देश की रक्षा करते हैं। वह भी सीमा पर जाकर अपने देश के लिए काम करना चाह रहा है।

शोभा के पिता राजूराम वन विभाग के कर्मचारी हैं। घर की छोटी-बड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति उनके वेतन से ही होती है। मां गंगा बाई हाउस वाइफ हैं। घर संभालती हैं। परिवार का आधार स्तंभ हैं। शोभा की छोटी बहन वर्षा पहली कक्षा में पढ़ती है। दूसरी सृष्टि अभी छोटी है। स्कूल में चल रही पढ़ाई और घर के माहौल ने ही शोभा के इरादों को बल दिया है। राजूराम कहते हैं कि वह डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करेगी तो सीना चौड़ा हो जाएगा। मां गंगा बाई को भी आशा है। वे अपने दूसरे बच्चों को भी अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाह रहे हैं।

दूसरे बच्चे आनंद के पिता नत्थूराम यादव मिस्त्री का काम करते हैं। रोज सुबह उनकी दिनचर्या मजदूरी से शुरू होती और शाम होते तक वे थक कर चूर हो जाते हैं। घर पर मां मालती रोटी बनाकर रोज उनका इंतजार करती है। इस रोजी-रोटी के जद्दोजहद के बीच झोपड़ीनुमा एक मकान में दो बच्चों सहित भरा पूरा परिवार पल रहा है। आनंद का बड़ा भाई ताड़पल्ली हाईस्कूल में पढ़ाई कर रहा है। पिता नत्थूराम के साथ स्कूल के शिक्षक आनंद को खूब पढ़ने की सीख देते हैं।

बच्चों की यह सोच स्कूल के माहौल का नतीजा है। छाेटे से गांव के इस स्कूल में बच्चों के बैठने के उचित व्यवस्था है। बेंच और डेस्क लगाए गए हैं। इस स्कूल में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शिक्षक इस पर विशेष ध्यान देते हैं। विषयों को बेहतर तरीके से समझने के लिए स्मार्ट क्लासेस की व्यवस्था की गई है। बच्चों में इसे लेकर काफी उत्साही रहते हैं। विषयों के अलावा शिक्षकों का ध्यान नैतिक शिक्षा पर भी है। प्राइमरी के बच्चों को सामान्य ज्ञान की शिक्षा भी दी जाती है ताकि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उनका आधार मजबूत बने।

एलिमेंट्री एजुकेशन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने हरेक स्कूल में बेहतर शिक्षा व्यवस्था की नीति बनाई है। आरटीई के तहत प्रत्येक स्कूल में पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों को इसका पूरा लाभ मिले। साथ ही शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्कूलों में संचालित मिड-डे-मिल की प्रॉपर मॉनिटरिंग की जा रही है। इससे स्कूल में बच्चों की उपस्थिति निरंतर बनी हुई है। इस तरह हरेक स्कूल अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर है।

और स्टोरीज़ पढ़ें
से...

इससे जुड़ी स्टोरीज़

No items found.
© 2021 YourStory Media Pvt. Ltd. - All Rights Reserved
In partnership with Dept. of Public Relations, Govt. of Chhattisgarh