कवर्धा जिले के तेंदुआड़ी गाँव की रहने वाली रानु रात्रे हों या सरगुजा जिले के गाँव जामढ़ोढ़ी की छात्रा नताशा या फिर दुर्ग के मोतीपारा में रहने वाले सागर, इन तीनों बच्चों को
‘चिरायु योजना’ और ‘मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना’ की वजह से नया जीवन मिला है। न ही इन बच्चों को और न ही इनके माता-पिता को इस बात की जानकारी थी कि इन्हें दिल की गंभीर और जानलेवा बीमारी है। सभी बीमारी से अनजान थे। बीमारी की वजह से इन बच्चों को तकलीफ तो थी, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम था कि वे दिल की किसी बीमारी का शिकार हैं। चिरायु योजना के अंतर्गत जब चिकित्सकों और विशेषज्ञों के अलग-अलग दलों ने अलग-अलग जगह, अलग-अलग समय इन बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया तब जाकर यह पता चला कि ये बच्चे जन्म से ही दिल की बीमारी का शिकार हैं। चिरायु दल के माध्यम से इन सभी बच्चों का इलाज करवाया गया। बच्चों के दिल का ऑपरेशन हुआ और दिल की बीमारी से दूर हुए।
बड़ी बात यह है कि दिल के ऑपरेशन का सारा खर्च खुद सरकार ने वहन किया, यानी बच्चों के माता-पिता को अपनी ओर से एक भी रुपया खर्च नहीं करना पड़ा। इससे भी बड़ी बात यह है कि बच्चों के माता-पिता भी इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपने बच्चे की दिल की बीमारी का इलाज करवा सकें और वो भी बड़े अस्पताल में।
रानु रात्रे, नताशा और सागर जैसे गरीब परिवार के बच्चों की मदद के मकसद से ही मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना चलायी जा रही है। इस योजना के तहत अलग-अलग दिल की बीमारियों का शिकार गरीब और जरूरतमंद बच्चों का इलाज निःशुल्क किया जा रहा है।
भारत के अन्य राज्यों की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी कई बच्चे दिल की बीमारी से परेशान हैं। चूँकि इन बच्चों और उनके अभिभावकों को बीमारी के बारे में पता ही नहीं चल पाता है कई बच्चों की बिना इलाज के ही मौत हो जा रही है। जिन बच्चों के अभिभावकों को बीमारी का पता चल भी जाता है उनमें से कई गरीब होने की वजह से बच्चों का इलाज नहीं करवा पाते हैं। दिल की बीमारियों का इलाज काफी महंगा होता है और हर अस्पताल में यह इलाज संभव नहीं है। ज्यादातर मामलों में बच्चों को दिल की जन्मजात बीमारी से छुटकारा दिलवाने के लिए सर्जरी की जरूरत होती होती है। गरीब परिवारों को अपने बच्चे के इलाज में कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के मकसद से छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना शुरू की है । मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना के तहत गरीब परिवार के बच्चों को दिल से जुड़ी सात तरह की बीमारियों के इलाज के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जाती है।
योजना के तहत वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट (व्हीएसडी), एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी), टेट्रा लॉजी ऑफ फैलोट (टीओएफ), पेटेंट डक्टस आट्रियोसस (पीडीए), पलमोनरी एस्टेनोसिस (पीएस), कोऑर्कटेशन ऑफ ऑरटा (सीओए) और विथ वाल्वुलर डिसीज (आरएचडी) जैसी बीमारियों का इलाज किया जाता हैं। इस योजना का लाभ 15 साल तक की उम्र के बच्चों को मिलता है। बीमारी के इलाज पर खर्च होने वाली रकम सीधे अस्पताल को भेज दी जाती है। इलाज सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के अस्पताल में कराया जा सकता है। रायपुर की एस्कार्ट हार्ट केयर, रामकृष्ण केयर अस्पताल रायपुर, अपोलो बीएसआर अस्पताल भिलाई, अपोलो अस्पताल बिलासपुर, नारायण हृदयालय अस्पताल रायपुर और श्री बालाजी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल रायपुर में इलाज करवाया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात है कि गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवार को इस योजना में प्राथमिकता दी जाती है।
दिल की बीमारी के परेशान बच्चों का इलाज जल्द से जल्द हो इसके लिए सरकार ने तकनीकी समिति का गठन किया है। समिति के अनुमोदन के बाद हितग्राही प्रदेश एवं देश के मान्यता प्राप्त संस्थानों में चिकित्सकों की अनुशंसा के बाद इलाज ले सकता है।