कामकाज के दौरान चीजें धुंधली दिखाई देने लगी। कुर्सी पर बैठे आदमी का चेहरा भी ठीक से नहीं पहचान पाता। ऐसे में अगर कभी उस्तरा गलत चल जाए तो परेशानी अलग। ये कहानी है कवर्धा के पाढ़ी गांव निवासी 55 वर्षीय जनक लाल की, जो पेशे से नाई हैं। काम से फुरसत मिले तो अस्पताल जाएं। घर वाले कहकर थक चुके थे। फिर एक दिन जांच करवा ही ली। रिपोर्ट में मोतियाबिंद निकला। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने ही सीसीसी (कैटेरेक्ट, क्लब फुट, क्लेफट लिप) मिशन के बारे में बताया। अब ऑपरेशन के बाद सबकुछ साफ दिखने लगा है। ताश की पत्तियां भी, जनक लाल मुस्कुराते हुए बोले।
मजाकिया लहजे में वे कहते हैं कि कामकाज तो ठीक है अपना खेल भी ढंग से खेल पाता था। बड़ी परेशानी होने लगी थी। अब तक सही समय पर सही पत्ते नहीं फेंक पाता था। जनक लाल के दो बेटे हैं और उनकी इस बीमारी के चलते उनके परिवार वाले भी बेहद परेशान थे। बार-बार उन्हें चेकअप कराने कहा करते थे, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर जनक को इलाज में होने वाले खर्च का डर था। जब उन्हें कवर्धा जिले में चल रहे सीसीसी मिशन के बारे में पता चला तो वे फौरन अस्पताल पहुंच गए। डॉक्टरों ने उनकी आंखों का ऑपरेशन किया। आज वे सामान्य ढंग से अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। परिवार भी खुश है। जनक का कहना है कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि इतनी आसानी से मेरी बीमारी का इलाज हो जाएगा।
पाढ़ी के ही रहने वाले हैं ं70 साल के बाबूराम। काम धोबी का। लोगों के कपड़े धोना, सुखाना, स्त्री करना, फिर घर तक पहुंचाना। हालांकि व्यवसाय से जुड़े ज्यादातर काम उनका बेटा संभाल रहा था, लेकिन घर में नाती-नातिन के साथ खेलने का सुख भी वे कहां ले पा रहे थे। फिर एक दिन बेटे के साथ सरकारी अस्पताल गए। डॉक्टरों ने पूछा तो बताया कि एक-डेढ़ फिट की चीजें भी स्पष्ट नहीं दिखती। जांच में पता चला कि दोनों आंखों में मोतियाबिंद है। ऑपरेशन करना पड़ेगा। ऑपरेशन की बात सुनते ही बाबूराम ने बेटे से वापस चलने को कहा। बोला- इतना खर्च कौन उठाएगा। फिर दाल-रोटी कैसे चलेगी।
बाबूराम की बात सुनकर डॉक्टर ने उन्हें रोका। फिर उनकी परेशानी से जुड़ी सारी बातें बताई। साथ में सीसीसी मिशन के बारे में भी जानकारी दी। कहा कि सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए इसका प्रबंध कर रखा है। आॅपरेशन के बाद लंबे समय तक रुकना भी नहीं पड़ेगा। एक दिन में ही वे घर जा सकते हैं। फिर क्या था, बाबूराम ने तो आॅपरेशन करवाया ही पत्नी को भी इलाज के लिए लेकर आए। अब पूरा परिवार सुखी-सुखी अपना जीवन बिता रहा है।
कैटैरेक्ट, क्लब फुट और क्लेफ्ट लिप जैसे काफी मामले कबीरधाम जिले में आए। बोड़ला और पंडरिया में कैटेरेक्ट के मामले ज्यादा हैं। इसका कारण यहां के रहन-सहन, वातावरण आदि है। कुछ लोगों में यह अनुवांशिक भी है। इसी तरह क्लबफुट जिसमें बच्चे का पैर असाधारण तरीके से मुड़ा हुआ होता है। क्लेफ्ट लिप यानी कटे-फटे होठ और तालू वाले बच्चे भी मिलते हैं। ऐसे मामलों को ध्यान में रखते हुए शासन ने सीसीसी मिशन चलाया। अस्पतालों में कैंप लगाए गए और ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया गया। जानकारी के मुताबिक आज कटे-फटे होंठ वाले 82मामलों में से 62 का इलाज हो चुका है और 20 का इलाज होना बाकि है।
मुड़े हुए पैर वाले 151 मामले सामने आए। अब तक 114 लोगों का उपचार किया जा चुका है और 37 लोगों के इलाज की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे ही मोतियाबिंद वाले 2000 मरीज मिले। डॉक्टरों ने 1148 का ऑपरेशन कर आंखों को रोशनी दे दी। पेंडिंग 852 के उपचार भी जल्द किए जाएंगे। इस तरह सीसीसी मिशन को लेकर सरकार ने तत्परता दिखाई है। इसी के चलते कबीरधाम जिले के ग्रामीणों को राहत मिल रही है और इलाज के बाद वे सामान्य जीवन जी पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ग्रामीणों की सुध ली तो यह मिशन शुरू हुआ।