दिनभर की मजदूरी से जो मिलता रुखा-सूखा खाते और कुछ पैसे बचाते। जमा पूंजी से घर बनाने की ख्वाहिश थी, लेकिन जैसे ही कुछ रुपए जमा होते कोई न कोई इमरजेंसी आन पड़ती। बस इसी वजह से मकान का सपना पूरा नहीं हो पा रहा था। धमतरी के संबलपुर निवासी कलीराम पिता डेहरा राम ध्रुव का कहना है कि आज प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि मिलने के बाद उनका सपना पूरा हुआ और खुशियां लौट आईं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं।
संबलपुर में 400 वर्गफीट के कच्चे मकान में रहने वाले कलीराम पर न जानें कितनी विपत्तियां आईं। छोटे से मकान में परिवार के चार सदस्य रहते थे। पति-पत्नी सुबह से मजदूरी करने निकलते और देर शाम लौटते। दिनभर की मशक्कत के बाद जो राशि हाथ लगती, उसी से गुजारा चलता था। कभी कुछ पूंजी इकट्ठा की तो बीमारी में चली गई। इसलिए मकान बनाने का सपना धरा का धरा रह गया। कलीराम ने सोचा कि कर्ज लेकर मकान बना लूं, लेकिन कर्ज देता कौन? इस विचार से वह अपने कदम पीछे खींच लेता था।
एक दिन पता चला कि केंद्र सरकार ने कोई योजना लागू की है, जिसके तहत गरीब परिवार को मकान बनाने के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि मिलेगी। कलीराम भी इसकी जानकारी लेने पहुंच गया। पंचायत में पता करने पर उसका नाम 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना में शामिल बताया गया। इस तरह योजना के हितग्राहियों में वह शुमार हो गया और उसके मकान के लिए राशि की स्वीकृति भी मिल गई। गांव के सरपंच ने बताया कि जल्द ही उसके खाते में योजना की पहली किस्त जमा हो जाएगी।
इसके बाद आवास मित्र ने कलीराम का सहयोग किया। उसके मकान का नक्शा तैयार किया गया। ले-आउट करने के बाद मकान का नींव रखने की तैयारी की गई। इसी दौरान पता चला कि पहले किस्त के 48 हजार रुपए खाते में आ गए हैं। बस फिर क्या था मकान की नींव डली और पति-पत्नी ने भी मजदूरी शुरू कर दी। मकान की दीवारों के खड़े होते ही योजना की दूसरी किस्त खाते में आई। जब मकान पूरा बनकर तैयार हो गया तो अंतिम किस्त मिल गई।
इस तरह लगभग 90 दिनों तक काम चला। मनरेगा के तहत मजदूरी के 15000 रुपए भी मिले। कलीराम का मकान बनकर तैयार हो गया और मजदूरी के पैसे से उसने अपने घर का खर्च भी चलाया। कलीराम कहते हैं कि क्या गजब की योजना है। मैंने अपना मकान बनाने के लिए काम किया और उसकी मजदूरी भी सरकार ने दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को मनना पड़ेगा। उससे भी बड़ी बात ये कि केंद्र की इस योजना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम राज्य शासन कर रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का भी आभार है।
कलीराम के जैसे ही संबलपुर में कई हितग्राही हैं, जिन्होंने तीन महीने तक अपने ही मकान को बनाने के लिए मजदूरी की और उन्हें परिवार के लिए अतिरिक्त कमाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। मनरेगा के तहत उनकी मजदूरी का भुगतान हो गया। इस तरह सरकार ने उन्हें मकान के लिए अनुदान तो दिया ही उनका हक भी उन्हें दिया।