कोहकाबोड़ प्राइमरी स्कूल में नवाचार का असर ये है कि खुद बच्चे नयापन तलाशने लगे हैं। पीपे में छेद कर बनाया गया ड्रिप इरिगेशन सिस्टम इसका उदाहरण है। बाल संसद की पहली बैठक ही स्वच्छता और संुदरता को लेकर हुई। प्रधानमंत्री महेश्वरी यदु को वातावरण की चिंता है। कैबिनेट का हरेक मंत्री पौधों की जिम्मेदारी संभाल रहा। तभी तो शनिवार को छुट्टी के बाद क्रीड़ा मंत्री आगाज वर्मा पीपों में पानी भरते दिखाई दिए। इसी व्यवस्था ने चार दिन पहले दिल्ली से आई नीति आयोग की टीम को खासा प्रभावित किया है।
राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ ब्लॉक में स्थित कोहकाबोड़ प्राइमरी स्कूल में विषयों पर हरेक क्लास के बच्चों की पकड़ से शिक्षकों के पांच साल की मेहनत स्पष्ट दिखाई दे रही है। तीसरी की लक्ष्मी 72 तक पहाड़ा बिना अटके बोल रही। पांचवीं के महेंद्र का आत्मविश्वास देखते ही बना, जब गणित के शिक्षक भगवती प्रसाद सिन्हा ने आठ अंकों वाली संख्या लिखकर पढ़ने के लिए कहा। महेंद्र ने उनके हाथों से चाक लेकर ब्लैक बोर्ड पर लिखे अंकों को टुकड़ों में बांटकर पढ़ा, आठ करोड़ 94 लाख 35 हजार 267। टीचर ने इसी के आगे पीछे दो अंक और जोड़े तो खुशबू ने खड़े होकर फटाफट पढ़ लिया। दूसरी के बच्चे हिंदी के अध्याय का हरेक शब्द दोहरा रहे हैं और सीखते जा रहे हैं। स्कूल की खास बात ये कि माध्यम भले ही हिंदी हो पर परिचय अंग्रेजी में देते हैं। कम्युनिकेटिव इंग्लिश भी धीरे-धीरे विकसित हो रही है।
स्कूल परिसर में कदंब, कटहल, गुलमोहर, शीशम, अमरूद, बॉटल ब्रश, जामुन आदि के पौधे लगाए गए हैं। बच्चों ने एक पीपे में दो तरफ छोटे-छोटे छेद कर उसे दो पौधों के बीच गाड़ दिया है। अब पौधों को सीधे पानी देने की बजाय पीपे में पानी भर दिया जाता है। इससे गर्मी में भी पौधों को लगातार पानी मिलते रहता है। कक्षा चौथी के दरवाजे पर जल चक्र समझाया गया है और भीतर दीवार पर सौर मंडल। तीसरी में छत्तीसगढ़ की प्रमुख फसलें, खनिज, चिन्ह, प्रतीक, बारहखड़ी जैसे चार्ट बने हुए हैं। कपड़े के ताेरन में पहली से पांचवीं तक के पाठ्यक्रम को संजोया गया है। ऐसे कई प्रयोग देखने को मिले।
दिल्ली में एनसीईआरटी की प्रो. डॉ. लथा राम मोहन के साथ टीम के सदस्य 26 जुलाई को कोहकाबोड़ पहुंचे थे। उन्होंने की पाइंट इंडीकेटर्स पर स्कूल की गुणवत्ता परखी। इसमें ट्रांजिशन रेट, ड्रिंकिंग वाटर, टैक्सट बुक आदि पर ध्यान दिया गया। दिल्ली की टीम ने प्रदेश के 10 महत्वाकांक्षी जिलों का सर्वे किया, जिसमें राजनांदगांव भी शामिल था और वे खैरागढ़ के कोहकाबोड़ में भी पहुंचे। स्कूल के फ्रंट वाल पर मिसाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर और उनके व्यक्तित्व से जुड़े लेख। अन्य दीवारों पर राज्य के प्रथम स्वप्न दृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल, आयुर्वेद चिकित्सक महर्षि चरक, महान गणितज्ञ आर्यभट्ठ के साथ गुरु घासीदास का व्यक्तित्व के उल्लेख को भी सराहा।
बच्चों को विषय समझाने के लिए शिक्षकों ने काफी नए प्रयोग किया हैं। जैसे पहली से पांचवीं तक के हरेक बच्चे को संपर्क फाउंडेशन के किट से गणित की शिक्षा दी गई। हिंदी की बारहखड़ी अंग्रेजी में बनाई गई। इसका फायदा ये हुआ कि बच्चे आसानी से ट्रांसलेशन करने लगे। नेट का इस्तेमाल किया गया। ब्लू-टूथ से स्पीकर को जोड़कर बच्चों को सुनाया। बच्चों को अखबार पढ़ने की आदत डाली। इस काम में वहां के शिक्षक एचएम लोकेश यादव, भगवती प्रसाद सिन्हा, चंद्रकिरण ठाकुर, शैलेष कुमार सोनी, ज्योति केहरी और कोमलचंद कोठारी अपना सौ प्रतिशत दिया।
कोहकाबोड़ प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की मेहनत और लगन को देखते हुए शासन-प्रशासन ने उनका सम्मान भी किया है। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक शैलेष सोनी और मिडिल स्कूल की शिक्षिका अनुराधा सिंह को इस साल शिक्षा दूत व ज्ञानदीप पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अनुराधा का नाम राज्यपाल पुरस्कार के लिए भी चयनित किया गया है। इससे पहले शिक्षक भगवती प्रसाद सिन्हा भी विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। सिन्हा का कहना है कि हमारे बच्चों की सफलता हमारे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है। कोहकाबोड़ स्कूल में टीम वर्क हो रहा है। इसलिए सफलता मिल रही है।